Uttarakhand News : उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने की दिशा में एक अच्छी खबर सामने आई है। अल्मोड़ा के सोबन सिंह जीना मेडिकल कॉलेज के रेडियोथेरेपी विभाग में एक सीनियर रेजीडेंट डॉक्टर की तैनाती हुई है। इसके साथ ही अब बेस अस्पताल में दो डॉक्टर कैंसर रोगियों का इलाज करेंगे, जिससे पहाड़ के मरीजों को काफी राहत मिलने की उम्मीद है।
रेडियोथेरेपी विभाग में नई तैनाती
अल्मोड़ा के सोबन सिंह जीना मेडिकल कॉलेज के रेडियोथेरेपी विभाग में अब तक केवल एक ही डॉक्टर मरीजों का इलाज कर रहे थे। इस कारण कैंसर रोगियों को उपचार के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता था, और कई बार उन्हें हल्द्वानी, देहरादून, या अन्य मैदानी क्षेत्रों के अस्पतालों में रेफर किया जाता था। लेकिन अब एक सीनियर रेजीडेंट डॉक्टर की तैनाती के बाद विभाग में दो विशेषज्ञ डॉक्टर उपलब्ध होंगे। यह कदम कैंसर रोगियों के लिए एक बड़ी राहत साबित होगा।
मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सीपी भैसोड़ा ने बताया कि रेडियोथेरेपी विभाग में दो डॉक्टरों की उपलब्धता से कैंसर मरीजों को त्वरित और प्रभावी उपचार मिलेगा। नई तैनाती से रेडियोथेरेपी विभाग की क्षमता बढ़ेगी, और मरीजों को स्थानीय स्तर पर ही बेहतर उपचार मिल सकेगा। उन्होंने कहा, “हम लगातार विशेषज्ञ डॉक्टरों की नियुक्ति के लिए प्रयासरत हैं ताकि पहाड़ के मरीजों को मैदानी क्षेत्रों की ओर न जाना पड़े।”
कैंसर मरीजों के लिए क्यों है यह महत्वपूर्ण?
कैंसर एक ऐसी गंभीर बीमारी है, जिसके उपचार के लिए विशेषज्ञ डॉक्टरों और उन्नत तकनीकों की आवश्यकता होती है। रेडियोथेरेपी कैंसर के इलाज का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो ट्यूमर को नष्ट करने या उसका आकार कम करने में मदद करती है। अल्मोड़ा जैसे पहाड़ी क्षेत्रों में, जहां स्वास्थ्य सेवाएं सीमित हैं, रेडियोथेरेपी जैसी सुविधाएं उपलब्ध होना एक बड़ा बदलाव ला सकता है। पहले, अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज में रेडियोथेरेपी विभाग में केवल एक डॉक्टर होने के कारण मरीजों को लंबा इंतजार करना पड़ता था। कई बार मरीजों को सुशीला तिवारी अस्पताल (हल्द्वानी) या अन्य बड़े शहरों में जाना पड़ता था, जिससे समय और धन दोनों की बर्बादी होती थी। अब दो डॉक्टरों की तैनाती से मरीजों को कम समय में अपॉइंटमेंट मिल सकेगा। रेडियोथेरेपी सत्रों की संख्या बढ़ाई जा सकेगी।
पहाड़ में कैंसर उपचार की चुनौतियां
उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का इलाज हमेशा से एक चुनौती रहा है। कई कारणों से मरीजों को उचित उपचार नहीं मिल पाता। पहाड़ी क्षेत्रों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की अनिच्छा के कारण चिकित्सकों की कमी बनी रहती है। उदाहरण के लिए, 2021 में दून अस्पताल से अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज में स्थानांतरित 10 से अधिक विशेषज्ञ डॉक्टरों में से कई ने जॉइन नहीं किया। इसके कारण मरीजों को उपचार के लिए हल्द्वानी, देहरादून, या दिल्ली जैसे शहरों में जाना पड़ता है। कई मरीजों को समय पर कैंसर का पता नहीं चलता, जिससे इलाज जटिल हो जाता है।
बेस अस्पताल में भी मिलेगा लाभ
रेडियोथेरेपी कैंसर के उपचार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसमें उच्च-ऊर्जा विकिरण का उपयोग करके कैंसर कोशिकाओं को नष्ट किया जाता है। यह उन मरीजों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है, जिनके ट्यूमर सर्जरी के लिए उपयुक्त नहीं हैं। अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज में रेडियोथेरेपी विभाग की मजबूती से स्थानीय मरीजों को यह सुविधा अपने क्षेत्र में ही मिल सकेगी, जिससे उनका समय और पैसा बचेगा।मेडिकल कॉलेज से जुड़े बेस अस्पताल में भी अब कैंसर मरीजों को बेहतर उपचार मिल सकेगा। दो विशेषज्ञ डॉक्टरों की मौजूदगी से उपचार प्रक्रिया और भी तेज और प्रभावी होगी।


शंकर दत्त पांडेय वरिष्ठ पत्रकार हैं और पिछले चार दशक से मीडिया की दुनिया में सक्रिय हैं। Uncut Times के साथ वरिष्ठ सहयोगी के रूप से जुड़े हैं। उत्तराखंड की पत्रकारिता में जीवन का बड़ा हिस्सा बिताया है। कुमाऊं के इतिहास की अच्छी जानकारी रखते हैं। दर्जनों पत्र-पत्रिकाओं में समसामयिक और शोधपरक लेख प्रकाशित। लिखने-पढ़ने और घूमने में रुचि। इनसे SDPandey@uncuttimes.com पर संपर्क कर सकते हैं।
Discover more from Uncut Times - ब्रेकिंग न्यूज, फैक्ट चेक, विश्लेषण
Subscribe to get the latest posts sent to your email.