हल्द्वानी/अल्मोड़ा : उत्तराखंड में गुलदारों का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है। हाल ही में हल्द्वानी के रानीबाग क्षेत्र में एक आदमखोर गुलदार को वन विभाग ने पकड़ लिया है, जिससे स्थानीय लोगों ने राहत की सांस ली है। वहीं, अल्मोड़ा के माल गांव में गुलदार ने पिता-पुत्र पर हमला कर उन्हें घायल कर दिया। ये घटनाएं उत्तराखंड में वन्यजीवों और इंसानों के बीच बढ़ते संघर्ष के बारे में चिंता में डालती हैं।
रानबाग में गुलदार पिंजरे में कैद
हल्द्वानी के रानीबाग के मोरा दोगड़ा क्षेत्र में लंबे समय से एक गुलदार दहशत का पर्याय बना हुआ था। इस गुलदार ने हाल ही में एक महिला पर हमला किया था, जिसके बाद से ग्रामीणों में भय का माहौल था। वन विभाग ने इस गुलदार को पकड़ने के लिए व्यापक अभियान शुरू किया था, जिसमें पिंजरे और ट्रैप कैमरे लगाए गए थे। बीती रात शिकार की तलाश में निकला यह गुलदार आखिरकार वन विभाग के जाल में फंस गया। रेंजर मुकुल चंद्र शर्मा ने बताया कि पकड़ा गया गुलदार नर है और उसका मेडिकल परीक्षण किया जा रहा है। इस परीक्षण से यह पुष्टि होगी कि क्या यही वह गुलदार है जिसने महिला पर हमला किया था। गुलदार को रानीबाग स्थित रेस्क्यू सेंटर में स्थानांतरित कर दिया गया है, जहां उसकी कड़ी निगरानी की जा रही है। जांच रिपोर्ट के आधार पर यह तय किया जाएगा कि गुलदार को आदमखोर घोषित करना है या इसे किसी अभयारण्य में स्थानांतरित करना है।
ग्रामीणों की राहत और मांगें
गुलदार के पकड़े जाने से मोरा दोगड़ा और आसपास के ग्रामीणों ने राहत की सांस ली है। हालांकि, स्थानीय लोगों ने वन विभाग से मांग की है कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए स्थायी उपाय किए जाएं। ग्रामीणों का कहना है कि जंगल और मानव बस्तियों की निकटता के कारण गुलदार अक्सर गांवों में घुस आते हैं, जिससे खतरा बढ़ जाता है। संवेदनशील क्षेत्रों में CCTV निगरानी, रात्रि गश्त, और फेंसिंग की व्यवस्था हो। घायल व पीड़ित परिवारों को तत्काल मुआवजा और चिकित्सीय सहायता प्रदान की जाए।
अल्मोड़ा में गुलदार का हमला
दूसरी ओर, अल्मोड़ा के माल गांव में गुलदार ने पिता-पुत्र पर हमला कर उन्हें घायल कर दिया। यह घटना नगर से सटे क्षेत्र में हुई, जिसने स्थानीय समुदाय को दहशत में डाल दिया है। माल गांव के निवर्तमान प्रधान राजेंद्र बिष्ट ने इस घटना की पुष्टि की और बताया कि क्षेत्र में दो गुलदार देखे गए हैं। घटना की शुरुआत तब हुई जब गुलदार ने पूरन सिंह बिष्ट के कुत्ते को शिकार बनाया। सुबह तक गुलदार गांव में मंडराता रहा। जब ग्रामीणों ने शोर मचाया, तो गुलदार एक मकान की गली में फंस गया। बाद में वह धन सिंह के मकान के पास पहुंचा और उनके पुत्र दिनेश बिष्ट पर झपट पड़ा। इस हमले में पूरन सिंह और दिनेश बिष्ट दोनों घायल हो गए। दोनों को तत्काल अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है। राजेंद्र बिष्ट ने बताया कि माल गांव और आसपास के क्षेत्र में दो गुलदारों की मौजूदगी से लोग भयभीत हैं। ग्रामीणों ने वन विभाग से तत्काल कार्रवाई की मांग की है, जिसमें पिंजरे लगाना और गश्त बढ़ाना शामिल है। यह घटना अल्मोड़ा में गुलदारों के बढ़ते आतंक को दर्शाती है, जहां हाल के महीनों में कई हमले दर्ज किए गए हैं।
मानव-वन्यजीव संघर्ष गंभीर समस्या
हल्द्वानी और अल्मोड़ा की ये घटनाएं उत्तराखंड में मानव-वन्यजीव संघर्ष की गंभीरता को रेखांकित करती हैं। पहाड़ी क्षेत्रों में जंगलों और मानव बस्तियों की निकटता, प्राकृतिक आवास का ह्रास, और गुलदारों के लिए भोजन की कमी इस समस्या के प्रमुख कारण हैं। उत्तराखंड में पिछले कुछ वर्षों में गुलदार और बाघ के हमलों में कई लोगों की जान गई है, और सैकड़ों घायल हुए हैं।
वन विभाग की चुनौतियां
वन विभाग उत्तराखंड में मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने के लिए कई कदम उठा रहा है, लेकिन चुनौतियां भी कम नहीं हैं। एक ओर जहां हल्द्वानी में गुलदार को पकड़ना एक सफलता मानी जा रही है, वहीं अल्मोड़ा की घटना से स्पष्ट है कि यह समस्या खत्म नहीं हुई है। प्रदेश में वन्यजीव हमलों की बढ़ती घटनाएं प्रशासन और आम नागरिकों के लिए गंभीर चिंता का विषय बन चुकी हैं। मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने के लिए दीर्घकालिक और प्रभावी उपायों की जरूरत है। हल्द्वानी में गुलदार के पकड़े जाने के बाद रेंजर मुकुल चंद्र शर्मा ने कहा, “हमारी प्राथमिकता लोगों की सुरक्षा है। हम गश्त बढ़ा रहे हैं और ग्रामीणों को सतर्क रहने की सलाह दे रहे हैं।”


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