रुद्रप्रयाग : उत्तराखंड के केदारनाथ धाम में हेलिपैड के पास शनिवार को एक और हेलीकॉप्टर हादसा हो गया, जब एम्स ऋषिकेश की हेली एंबुलेंस लैंडिंग के दौरान दुर्घटनाग्रस्त हो गई। यह हेलीकॉप्टर संजीवनी हेली एंबुलेंस सेवा का हिस्सा था, जो एक मरीज को लेने के लिए ऋषिकेश से केदारनाथ जा रहा था। हादसे के समय हेलीकॉप्टर में केवल पायलट मौजूद था, जो पूरी तरह सुरक्षित है। हेलीकॉप्टर की टेल (पूंछ हिस्सा) क्षतिग्रस्त हो गई, लेकिन कोई बड़ी जनहानि या क्षति नहीं हुई। यह घटना चारधाम यात्रा के दौरान हुई दूसरी हेलीकॉप्टर दुर्घटना है, जिसने उत्तराखंड में हेली सेवाओं की सुरक्षा पर फिर से सवाल उठाए हैं।
हेलीपैड से 20 मीटर पहले हार्ड लैंडिंग
घटना केदारनाथ हेलिपैड से मात्र 20 मीटर पहले हुई। एम्स ऋषिकेश के जनसंपर्क अधिकारी (पीआरओ) संदीप कुमार ने हादसे की पुष्टि करते हुए बताया कि यह दुर्घटना तकनीकी गड़बड़ी या खराब मौसम के कारण नहीं, बल्कि हार्ड लैंडिंग के झटके से हुई। हेलीकॉप्टर का संतुलन बिगड़ने के कारण यह हेलिपैड से ठीक पहले जमीन पर गिर गया, जिससे इसका टेल रोटर क्षतिग्रस्त हो गया। गढ़वाल आयुक्त विनय शंकर पांडे ने भी इसकी पुष्टि की और बताया कि हेलीकॉप्टर में सवार पायलट सुरक्षित है। प्रारंभिक जांच में हार्ड लैंडिंग को हादसे का प्रमुख कारण माना जा रहा है, और नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) इसकी विस्तृत जांच करेगा।
चारधाम यात्रा के बीच दूसरा हेलीकॉप्टर हादसा
यह दुर्घटना चारधाम यात्रा के दौरान हुई दूसरी हेलीकॉप्टर दुर्घटना है, जिसने हेली सेवाओं की सुरक्षा और निगरानी व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं। इससे पहले, 8 मई 2025 को उत्तरकाशी जिले के गंगनानी क्षेत्र में गंगोत्री धाम की ओर जा रहा एक हेलीकॉप्टर क्रैश हो गया था। उस भयावह हादसे में एयरोट्रांस सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड के हेलीकॉप्टर में सवार पांच महिलाओं सहित छह लोगों की मौके पर ही मौत हो गई थी, जबकि एक यात्री गंभीर रूप से घायल हुआ था। हेलीकॉप्टर खरसाली से हर्षिल के लिए उड़ान भर रहा था, जब गंगनानी में भागीरथी नदी के पास यह 200 मीटर गहरी खाई में गिर गया। बचाव अभियान बेहद चुनौतीपूर्ण था, जिसमें हेलीकॉप्टर के दो टुकड़े होने और दो शव इसके भीतर फंसने के कारण ढांचे को काटना पड़ा।
संजीवनी हेली एंबुलेंस सेवा : जीवन रक्षक मिशन
यह हेलीकॉप्टर संजीवनी हेली एंबुलेंस सेवा का हिस्सा है, जिसे 29 अक्टूबर 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉन्च किया था। इस सेवा की घोषणा सबसे पहले 20 सितंबर 2022 को केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने की थी। इसका उद्देश्य उत्तराखंड के दुर्गम पर्वतीय क्षेत्रों में आपातकालीन चिकित्सा सहायता को शीघ्र उपलब्ध कराना है। सेवा का संचालन केंद्र सरकार और उत्तराखंड सरकार की 50-50% साझेदारी में किया जा रहा है। अब तक इस सेवा ने कई गंभीर मरीजों को समय पर चिकित्सा सुविधा प्रदान कर उनकी जान बचाई है।
जांच और भविष्य के कदम
इस हादसे की जाँच विमान दुर्घटना अन्वेषण ब्यूरो (AAIB) और नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) द्वारा की जाएगी। प्रारंभिक जाँच में हार्ड लैंडिंग और टेल रोटर की खराबी को हादसे का कारण बताया जा रहा है, लेकिन विस्तृत जाँच से तकनीकी और मानवीय पहलुओं का पता चलेगा। गंगनानी हादसे के बाद भी AAIB ने जाँच शुरू की थी, और उसकी रिपोर्ट में हेलीकॉप्टर के रखरखाव और उड़ान प्रोटोकॉल में सुधार की सिफारिशें की गई थीं। विशेषज्ञों का सुझाव है कि हेली सेवाओं में उन्नत तकनीक, नियमित रखरखाव, और पायलट प्रशिक्षण पर जोर देना होगा।
उत्तराखंड में हेलीकॉप्टर हादसों का इतिहास
केदारनाथ और चारधाम यात्रा मार्गों पर हेली सेवाएँ जोखिम भरी रही हैं।
- 12 जून 2010: केदारनाथ में हेलीकॉप्टर के पंखे से कटकर एक व्यक्ति की मौत।
- जून 2013: केदारनाथ आपदा के दौरान राहत और बचाव कार्य में जुटा हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त, कई हताहत।
- 23 सितंबर 2019: केदारनाथ हेलीपैड पर लैंडिंग के दौरान हेलीकॉप्टर क्रैश, 7 यात्रियों को मामूली चोटें।
- 18 अक्टूबर 2022: गरुड़चट्टी के पास हेलीकॉप्टर क्रैश, पायलट सहित 7 लोगों की मौत।
- 23 अप्रैल 2023: केदारनाथ में हेलीकॉप्टर की टेल रोटर से कटकर यूकाडा के वित्त महाप्रबंधक अमित सैनी की मौत।
इन हादसों ने उत्तराखंड में हेली सेवाओं की सुरक्षा, रखरखाव, और प्रशिक्षण पर सवाल उठाए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि पहाड़ी क्षेत्रों की जटिल भौगोलिक परिस्थितियाँ, मौसम की अनिश्चितता, और तकनीकी खामियाँ इन हादसों के प्रमुख कारण हैं।


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