देहरादून/जयपुर (सुभाष भट्ट) : दिल दहला देने वाला केदारनाथ हेलिकॉप्टर हादसा पूरे देश को झकझोर गया है। पायलट लेफ्टिनेंट कर्नल (सेवानिवृत्त) राजवीर सिंह चौहान को जयपुर में नम आंखों से अंतिम विदाई दी गई। उनकी पत्नी लेफ्टिनेंट कर्नल दीपिका चौहान ने सेना की वर्दी में अपने पति की तस्वीर को सीने से लगाए हुए अंतिम यात्रा में हिस्सा लिया। यह मार्मिक दृश्य हर किसी की आंखें नम कर गया। साथ ही यह सवाल भी छोड़ गया है कि केदारघाटी में असमय मौतों का ये सिलसिला आखिर कब थमेगा?
हादसे का दर्दनाक मंजर
15 जून 2025 को केदारनाथ के पास गौरीकुंड में आर्यन एविएशन का बेल 407 हेलिकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। नागरिक उड्डयन मंत्रालय के अनुसार, यह हेलिकॉप्टर श्री केदारनाथ जी से गुप्तकाशी के लिए उड़ान भर रहा था। हेलिकॉप्टर में पायलट राजवीर सिंह चौहान, पांच वयस्क यात्री, और एक 23 महीने का बच्चा सवार था। प्रारंभिक जांच में सामने आया कि हादसे की वजह Controlled Flight into Terrain (CFIT) हो सकती है, यानी खराब मौसम और कम दृश्यता के बावजूद हेलिकॉप्टर ने उड़ान जारी रखी, जिससे यह पहाड़ी इलाके से टकरा गया। एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (AAIB) इसकी विस्तृत जांच कर रहा है। हादसे में राजवीर सिंह चौहान (पायलट, जयपुर), विक्रम सिंह रावत (ऊखीमठ, उत्तराखंड), विनोद देवी (उत्तर प्रदेश), तृष्टि सिंह (उत्तर प्रदेश), राजकुमार सुरेश (गुजरात), श्रद्धा जायसवाल (महाराष्ट्र), और काशी (2 वर्ष, महाराष्ट्र) की मौत हो गई।
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अनुभवी पायलट थे राजवीर सिंह चौहान
राजवीर सिंह चौहान (37) ने भारतीय सेना में 15 साल तक सेवा दी। आर्टिलरी रेजिमेंट और आर्मी एविएशन कोर में रहते हुए उन्होंने कई जोखिम भरे मिशनों में हिस्सा लिया। पठानकोट में तैनाती के दौरान उनकी बहादुरी और नेतृत्व कौशल की खूब सराहना हुई। उनके लिंक्डइन प्रोफाइल के अनुसार, उनके पास 2000 घंटे से अधिक उड़ान का अनुभव था। सितंबर 2024 में सेना से लेफ्टिनेंट कर्नल के पद से रिटायर होने के बाद, राजवीर ने अक्टूबर 2024 में आर्यन एविएशन प्राइवेट लिमिटेड में पायलट के रूप में काम शुरू किया। उनके पिता गोविंद सिंह चौहान ने बताया, “राजवीर ने लैंडिंग से पहले अंतिम संदेश दिया था कि वे लेफ्ट टर्न ले रहे हैं। इसके बाद हादसा हो गया।”
परिवार पर टूटा दुख का पहाड़
चार महीने पहले ही जुड़वां बच्चों के पिता बने राजवीर के जाने से परिवार पर दुख का पहाड़ टूट पड़ा है। राजवीर का परिवार जयपुर के शास्त्री नगर में रहता है। उनकी पत्नी लेफ्टिनेंट कर्नल दीपिका चौहान भी सेना में पायलट हैं। शादी के 14 साल बाद, चार महीने पहले ही दंपति जुड़वां बच्चों के माता-पिता बने थे। बच्चों के जन्म का जश्न मनाने के लिए राजवीर जल्द ही घर लौटने वाले थे। लेकिन नियति को कुछ और मंजूर था। हादसे की खबर सुनकर उनके पिता गोविंद सिंह, जो बीएसएनएल से रिटायर हैं, और भाई चंद्रवीर सिंह स्तब्ध रह गए। अंतिम संस्कार के दौरान “राजवीर सिंह अमर रहें” के नारों से आसमान गूंज उठा। दीपिका ने सेना की वर्दी में, पति की तस्वीर को सीने से लगाए, नम आंखों से उन्हें अंतिम विदाई दी। इस दृश्य ने हर किसी का दिल पिघला दिया।
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अब तक क्या कदम उठाए गए?
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हादसे पर गहरा दुख जताया और तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए। उन्होंने नागरिक उड्डयन सचिव, DGCA, और अन्य अधिकारियों के साथ आपात बैठक की। हादसे के बाद 15 और 16 जून को केदारनाथ की सभी हेलिकॉप्टर सेवाएं अस्थायी रूप से स्थगित कर दी गईं। उत्तराखंड सिविल एविएशन डेवलपमेंट अथॉरिटी (UCADA) की CEO सोनिका ने कहा, “मौसम साफ होने पर ही उड़ानें फिर से शुरू होंगी।” CM धामी ने हेलिकॉप्टर सेवाओं की सुरक्षा के लिए सख्त SOP तैयार करने और तकनीकी विशेषज्ञों की एक समिति गठित करने के निर्देश दिए। DGCA ने भी हेलिकॉप्टर संचालन की निगरानी बढ़ा दी है। सोनप्रयाग पुलिस ने आर्यन एविएशन के दो प्रबंधकों के खिलाफ मौसम की अनदेखी करने के लिए मुकदमा दर्ज किया है।
बार-बार हादसे सुरक्षा पर सवाल
केदारनाथ में यह पहला हेलिकॉप्टर हादसा नहीं है। 7 जून 2025 को एक हेलिकॉप्टर को तकनीकी खराबी के कारण रुद्रप्रयाग में हाईवे पर आपात लैंडिंग करनी पड़ी थी। 2022 और 2019 में भी इसी तरह के हादसे हुए थे। पूर्व एयर वाइस मार्शल अनिल तिवारी के अनुसार, “केदारनाथ घाटी में उड़ान भरना बेहद चुनौतीपूर्ण है। मौसम की अनिश्चितता और दुर्गम इलाके इसे जोखिम भरा बनाते हैं।” नागरिक उड्डयन मंत्रालय और DGCA ने चारधाम यात्रा के लिए हेलिकॉप्टर संचालन की आवृत्ति कम कर दी है। AAIB की जांच पूरी होने के बाद और सख्त कदम उठाए जाएंगे।
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