केदारनाथ : विश्व प्रसिद्ध ग्यारहवें ज्योर्तिलिंग श्री केदारनाथ धाम के कपाट शुक्रवार 2 मई 2025 को सुबह 7 बजे विधि-विधान के साथ श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए। इस शुभ अवसर पर हजारों भक्तों ने बाबा केदारनाथ के दर्शन किए, और केदारघाटी ‘हर-हर महादेव’ के जयकारों से गूंज उठी। यह घटना चार धाम यात्रा 2025 की शुरुआत का प्रतीक है, जो लाखों तीर्थयात्रियों को यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ, और बद्रीनाथ धाम की ओर आकर्षित करती है।
केदारनाथ धाम का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व
केदारनाथ धाम भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है और चार धाम यात्रा का तीसरा पड़ाव है। 11,968 फीट की ऊंचाई पर स्थित यह मंदिर पंच केदार में भी प्रमुख स्थान रखता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, महाभारत युद्ध के बाद पांडवों ने भगवान शिव से क्षमा मांगने के लिए इस मंदिर का निर्माण कराया था। यहां शिवजी ने पांडवों को बैल के रूप में दर्शन दिए, जिसके कारण स्वयंभू शिवलिंग की पूजा की जाती है। माना जाता है कि केदारनाथ के दर्शन से भक्तों के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
केदारनाथ यात्रा के लिए जरूरी टिप्स
केदारनाथ यात्रा में 16 किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई शामिल है, इसलिए शारीरिक और मानसिक तैयारी जरूरी है। श्रद्धालुओं को निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए:
- रजिस्ट्रेशन: यात्रा शुरू करने से पहले आधिकारिक वेबसाइट registrationandtouristcare.uk.gov.in पर आधार कार्ड के जरिए रजिस्ट्रेशन करें।
- स्वास्थ्य: ठंडे मौसम और ऊंचाई के कारण ऑक्सीजन की कमी हो सकती है। डॉक्टर की सलाह लें और दवाइयां साथ रखें।
- सामान: गर्म कपड़े, मजबूत जूते, और रेनकोट जरूरी हैं।
- आवास: केदारनाथ, गुप्तकाशी, या सोनप्रयाग में गेस्ट हाउस और आश्रम उपलब्ध हैं। पहले से बुकिंग कर लें।
- साफ-सफाई: पर्यावरण की रक्षा के लिए प्लास्टिक का उपयोग न करें और सात्विक भोजन करें।
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कपाट बंद होने की तारीख
केदारनाथ धाम के कपाट हर साल भाई दूज के अवसर पर शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाते हैं। पिछले साल 2024 में कपाट 3 नवंबर को बंद हुए थे। इस साल 2025 में कपाट नवंबर के पहले सप्ताह में बंद होने की संभावना है, जिसकी घोषणा बाद में की जाएगी। शीतकाल में बाबा केदार की पूजा-अर्चना ऊखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर में होती है।
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शंकर दत्त पांडेय वरिष्ठ पत्रकार हैं और पिछले चार दशक से मीडिया की दुनिया में सक्रिय हैं। Uncut Times के साथ वरिष्ठ सहयोगी के रूप से जुड़े हैं। उत्तराखंड की पत्रकारिता में जीवन का बड़ा हिस्सा बिताया है। कुमाऊं के इतिहास की अच्छी जानकारी रखते हैं। दर्जनों पत्र-पत्रिकाओं में समसामयिक और शोधपरक लेख प्रकाशित। लिखने-पढ़ने और घूमने में रुचि। इनसे SDPandey@uncuttimes.com पर संपर्क कर सकते हैं।
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