पहली बार टनकपुर से कैलाश मानसरोवर यात्रा, सीएम धामी ने हरी झंडी दिखाई

पहली बार टनकपुर से शुरू हुई कैलाश मानसरोवर यात्रा, भव्य स्वागत

टनकपुर, उत्तराखंड : उत्तराखंड में एक ऐतिहासिक अध्याय की शुरुआत हो गई है। कैलाश मानसरोवर यात्रा 2025 का जत्था पहली बार टनकपुर से रवाना हुआ। देवभूमि उत्तराखंड के प्रवेश द्वार माने जाने वाले टनकपुर में यात्रियों का पारंपरिक रीति-रिवाजों और सांस्कृतिक उल्लास के साथ शानदार स्वागत किया गया। शनिवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शारदा पर्यटक आवास गृह (TRC) टनकपुर से हरी झंडी दिखाकर दल को रवाना किया।

जयकारों से गूंज उठा टनकपुर

पर्यटन आवास गृह टनकपुर में जैसे ही कैलाश यात्रियों का पहला जत्था पहुंचा, वहां का माहौल हर-हर महादेव के उद्घोष से गूंज उठा। छोलिया नृत्य, ढोल-दमाऊं की थाप, तिलक, आरती, पुष्पवर्षा और मालाओं के साथ यात्रियों का गर्मजोशी से स्वागत किया गया। इस पहले जत्थे में कुल 45 श्रद्धालु शामिल हैं, जिनमें 32 पुरुष, 13 महिलाएं शामिल हैं, जो भारत के विभिन्न राज्यों से आए हैं।

कोविड-19 के बाद पहली बार यात्रा को मिली मंजूरी

गौरतलब है कि कोविड-19 महामारी के चलते 2019 से कैलाश मानसरोवर यात्रा स्थगित थी। छह वर्षों के अंतराल के बाद इस बार यात्रा को टनकपुर रूट से पुनः शुरू किया गया है, जो राज्य सरकार और उत्तराखंड पर्यटन विभाग की एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।

टनकपुर रूट: नया रास्ता, नई उम्मीदें

टनकपुर से कैलाश मानसरोवर यात्रा का यह नया रूट श्रद्धालुओं को प्राकृतिक सुंदरता, सांस्कृतिक समृद्धि और धार्मिक आस्था का अद्भुत संगम प्रदान करता है। यह रूट न केवल यात्रा को लॉजिस्टिकली आसान और सुगम बनाता है, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी गति देगा। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने खुद टनकपुर पहुंचकर प्रथम दल को विधिवत रूप से झंडी दिखाकर रवाना किया। इस रूट से कैलाश मानसरोवर यात्रा का मार्ग टनकपुर से शुरू होकर चंपावत, पिथौरागढ़, धारचूला, और गुंजी होते हुए लिपुलेख दर्रा तक जाएगा, जहां से यात्री तिब्बत में प्रवेश करेंगे। पूर्व प्रचलित रूट से यह यात्रा हल्द्वानी के काठगोदाम और अल्मोड़ा से शुरू होती है

यात्रा की तैयारियां पूरी

केएमवीएन के प्रबंध निदेशक विनीत तोमर और जीएम विजय नाथ शुक्ल ने बताया कि यात्रा की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। टनकपुर के शारदा पर्यटक आवास गृह में यात्रियों के स्वागत के लिए उत्तराखंडी पारंपरिक व्यंजन और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए। इस दल में 50 यात्रियों के साथ 2 लाइजनिंग ऑफिसर और 1 गाइड भी शामिल हैं। इस ऐतिहासिक पल के साक्षी उत्तराखंड के कई वरिष्ठ अधिकारी और जनप्रतिनिधि बने, जिनमें केएमवीएन के प्रबंध निदेशक विनीत तोमर, चंपावत के जिलाधिकारी मनीष कुमार, पुलिस अधीक्षक अजय गणपति, केएमवीएन के जीएम विजय नाथ शुक्ल, टनकपुर के उपजिलाधिकारी आकाश जोशी, मुख्यमंत्री प्रतिनिधि दीपक रजवार, नगर पंचायत बनबसा की अध्यक्ष रेखा देवी और मुख्यमंत्री कैम्प कार्यालय के प्रभारी केदार सिंह बृजवाल शामिल रहे। इसके अलावा अन्य स्थानीय जनप्रतिनिधि और श्रद्धालु भी उपस्थित रहे। 

कैलाश मानसरोवर यात्रा का महत्व

कैलाश मानसरोवर यात्रा हिंदू, बौद्ध, जैन, और तिब्बती बोन् धर्म के अनुयायियों के लिए अत्यंत पवित्र मानी जाती है। कैलाश पर्वत को भगवान शिव का निवास स्थान माना जाता है, जहां वे माता पार्वती के साथ समाधि में रहते हैं। मानसरोवर झील, जिसे ब्रह्मा द्वारा निर्मित माना जाता है, 15,100 फीट की ऊंचाई पर स्थित है और सतलुज, सिंधु, ब्रह्मपुत्र, और सरयू जैसी प्रमुख नदियों का स्रोत है। स्कंद पुराण में कहा गया है, “कैलासं शिवपूजां च यदि कश्चित् करिष्यति, सप्तजन्मकृतं पापं तत्क्षणादेव नश्यति।” अर्थात, कैलाश मानसरोवर की यात्रा करने से सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह यात्रा न केवल धार्मिक, बल्कि आध्यात्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है।

यात्रा की तैयारियां और नियम

कुमाऊं मंडल विकास निगम (KMVN) इस यात्रा का संचालन कर रहा है, और सभी तैयारियां विदेश मंत्रालय और उत्तराखंड सरकार के सहयोग से की गई हैं। यात्रा के लिए कुछ महत्वपूर्ण नियम और तैयारियां इस प्रकार हैं:

  • पंजीकरण: यात्रियों का चयन ऑनलाइन लॉटरी सिस्टम के माध्यम से किया गया। 13 मई 2025 तक 5561 आवेदनों में से 750 यात्रियों का चयन हुआ, जिसमें 4024 पुरुष और 1537 महिलाएं शामिल थीं।

  • स्वास्थ्य जांच: यात्रा शुरू करने से पहले दिल्ली के हार्ट एंड लंग इंस्टिट्यूट में अनिवार्य स्वास्थ्य जांच होती है। 18 से 70 वर्ष की आयु के शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ भारतीय नागरिक ही इस यात्रा में शामिल हो सकते हैं।

  • आवश्यक सामान: यात्रियों को गर्म कपड़े, रेनकोट, जूते, मेडिकल किट, टॉर्च, चश्मा, छड़ी, और दस्ताने साथ रखने की सलाह दी गई है।

  • नियम: यात्रा के दौरान केवल सात्विक भोजन का सेवन करना चाहिए। लड़ाई-झगड़े या क्रोध से बचना चाहिए, और भगवान शिव का ध्यान करते रहना चाहिए।

यात्रा का खर्च

कैलाश मानसरोवर यात्रा 2025 का खर्च इस बार 2019 की तुलना में अधिक है, जिसका मुख्य कारण चीन द्वारा बढ़ाया गया शुल्क है।

  • लिपुलेख मार्ग: प्रति यात्री 1,74,000 रुपये

  • नाथुला मार्ग: प्रति यात्री 2,00,083 रुपये

इसके अतिरिक्त, उत्तर प्रदेश सरकार ने कैलाश मानसरोवर यात्रा में शामिल होने वाले अपने राज्य के श्रद्धालुओं को 1 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है।

SD Pandey

शंकर दत्त पांडेय वरिष्ठ पत्रकार हैं और पिछले चार दशक से मीडिया की दुनिया में सक्रिय हैं। Uncut Times के साथ वरिष्ठ सहयोगी के रूप से जुड़े हैं। उत्तराखंड की पत्रकारिता में जीवन का बड़ा हिस्सा बिताया है। कुमाऊं के इतिहास की अच्छी जानकारी रखते हैं। दर्जनों पत्र-पत्रिकाओं में समसामयिक और शोधपरक लेख प्रकाशित। लिखने-पढ़ने और घूमने में रुचि। इनसे SDPandey@uncuttimes.com पर संपर्क कर सकते हैं।


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