Justice Yashwant Varma cash recovery case : दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा का उनके आधिकारिक आवास से नकदी मिलने के विवाद के बीच इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court) में स्थानांतरण कर दिया गया है। विधि मंत्रालय ने शुक्रवार को एक सरकारी अधिसूचना जारी कर उनके ट्रांसफर की पुष्टि की।
एफआईआर की मांग और कोर्ट का रुख
इस बीच, चार वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट में एफआईआर दर्ज करने की याचिका दायर की। तर्क दिया गया कि इतनी बड़ी नकदी की निष्पक्ष जांच जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार किया, कहा कि पहले जांच कमेटी की रिपोर्ट का इंतजार करें।
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सुप्रीम कोर्ट की सिफारिश और ट्रांसफर प्रक्रिया
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 20 और 24 मार्च, 2025 को हुई बैठकों के बाद जस्टिस यशवंत वर्मा को उनके मूल कोर्ट इलाहाबाद हाईकोर्ट भेजने की सिफारिश की। इसके बाद केंद्र सरकार ने 27 मार्च, 2025 को इसकी अधिसूचना जारी कर दी। इसके साथ ही, दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस सीडी सिंह का भी ट्रांसफर इलाहाबाद हाईकोर्ट में कर दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने इस सप्ताह की शुरुआत में उनके तबादले की सिफारिश की थी। कॉलेजियम ने स्पष्ट किया कि यह कदम होली की रात लगी आग और उनके घर से नकदी बरामद होने की आंतरिक जांच से अलग है।
Justice Yashwant Varma के घर से जले नोट मिलने का दावा
14 मार्च, 2025 को जस्टिस यशवंत वर्मा के दिल्ली स्थित सरकारी आवास में आग लगने की घटना हुई। फायर ब्रिगेड के मौके पर पहुंचने पर वहां 15 करोड़ रुपये की नकदी मिलने का दावा किया गया, जिसमें से कुछ हिस्सा जला हुआ था। जस्टिस वर्मा ने इसे अपनी छवि खराब करने की साजिश बताया और कहा कि यह नकदी उनकी नहीं है। हालांकि, इस घटना के बाद उनकी नैतिकता और ईमानदारी पर सवाल उठने लगे।
जस्टिस यशवंत वर्मा कौन हैं? (Who is Justice Yashwant Varma?)
- जन्म: 6 जनवरी, 1969 (इलाहाबाद)
- शिक्षा: बी.कॉम (ऑनर्स) – हंसराज कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय, एलएलबी – रीवा विश्वविद्यालय
- करियर की शुरुआत: 1992, इलाहाबाद हाईकोर्ट
- जज नियुक्ति: 2014 (अतिरिक्त जज, इलाहाबाद हाईकोर्ट)
- स्थायी जज: 2016
- ट्रांसफर: अक्टूबर 2021 में दिल्ली हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन का विरोध
इससे पहले भी ट्रांसफर की संभावना की खबर के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने कड़ा विरोध जताया था। बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल तिवारी ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट कोई “कूड़ाघर” नहीं है, जहां भ्रष्टाचार के आरोपी जज को भेजा जाए। वकीलों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल की चेतावनी दी है। इसके साथ ही एफआईआर और सीबीआई जांच की मांग उठाई है।
सुप्रीम कोर्ट की जांच कमेटी
मामले की गंभीरता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने तीन सदस्यीय जांच कमेटी बनाई। इसमें जस्टिस शील नागू (मुख्य न्यायाधीश, पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट), जस्टिस जीएस संधावालिया (मुख्य न्यायाधीश, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट) और जस्टिस अनु शिवरामन (कर्नाटक हाईकोर्ट) शामिल हैं। कमेटी की रिपोर्ट के बाद ही आगे की कार्रवाई होगी।
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