जोशीमठ भूधंसाव : आपदा से राहत के लिए 291.15 करोड़ की योजना मंजूर

जोशीमठ भूधंसाव आपदा से राहत के लिए 291.15 करोड़ की योजना मंजूर

देहरादून : उत्तराखंड के ज्योतिर्मठ (जोशीमठ) में भूधंसाव की आपदा ने पिछले कुछ वर्षों में स्थानीय निवासियों और तीर्थयात्रियों के लिए गंभीर चुनौतियां खड़ी की हैं। अब इस संकट से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। केंद्र सरकार ने ज्योतिर्मठ को भूधंसाव से बचाने और क्षेत्र को सुरक्षित बनाने के लिए 291.15 करोड़ रुपये की धनराशि मंजूर की है। इस राशि से सीवरेज सिस्टम, भू-क्षरण रोकथाम, और जलनिकासी व्यवस्था को मजबूत करने पर काम किया जाएगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस विशेष सहायता के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का आभार व्यक्त किया है।

जोशीमठ में आई थी भूधंसाव की बड़ी आपदा

ज्योतिर्मठ, जिसे जोशीमठ के नाम से भी जाना जाता है, उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र है। यह बद्रीनाथ धाम का प्रवेश द्वार है और आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित चार मठों में से एक है। हालांकि, जनवरी 2023 से ज्योतिर्मठ में भूधंसाव की समस्या ने क्षेत्र को गंभीर संकट में डाल दिया। जनवरी 2023 में ज्योतिर्मठ में मकानों, सड़कों, और अन्य ढांचों में बड़ी-बड़ी दरारें दिखाई देने लगीं। इसका मुख्य कारण भू-क्षरण, अनियंत्रित निर्माण, और जलनिकासी की कमी को माना गया। इस आपदा ने सैकड़ों परिवारों को प्रभावित किया, और कई लोग अपने घरों को छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर जाने को मजबूर हो गए। बद्रीनाथ धाम के दर्शन के लिए आने वाले तीर्थयात्रियों के लिए भी यह क्षेत्र असुरक्षित हो गया था।

केंद्र से 291.15 करोड़ रुपये की मंजूरी

ज्योतिर्मठ में भूधंसाव की समस्या को देखते हुए केंद्र सरकार ने त्वरित कार्रवाई करते हुए 291.15 करोड़ रुपये की विशेष धनराशि मंजूर की है। इस राशि का उपयोग इन कार्यों के लिए किया जाएगा:

  1. सीवरेज सिस्टम का विकास: क्षेत्र में एक आधुनिक और प्रभावी सीवरेज सिस्टम स्थापित किया जाएगा ताकि जल संचय और मिट्टी के कटाव को रोका जा सके।
  2. भू-क्षरण रोकथाम: भूधंसाव को नियंत्रित करने के लिए ढलानों को स्थिर करने, दीवारों का निर्माण, और अन्य तकनीकी उपाय किए जाएंगे।
  3. जलनिकासी व्यवस्था: उचित ड्रेनेज सिस्टम विकसित किया जाएगा ताकि बारिश और बर्फबारी के दौरान जलजमाव की समस्या न हो, जो भूधंसाव का एक प्रमुख कारण है।
  4. क्षतिग्रस्त ढांचों की मरम्मत: प्रभावित मकानों, सड़कों, और अन्य बुनियादी ढांचों की मरम्मत और पुनर्निर्माण पर ध्यान दिया जाएगा।

इस परियोजना का लक्ष्य ज्योतिर्मठ को एक मजबूत सुरक्षा कवच प्रदान करना है, ताकि भविष्य में ऐसी आपदाओं से बचा जा सके। साथ ही, यह परियोजना स्थानीय निवासियों और तीर्थयात्रियों के लिए एक सुरक्षित और सुविधाजनक वातावरण सुनिश्चित करेगी।

मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने आभार जताया

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस परियोजना के लिए केंद्र सरकार का हार्दिक आभार व्यक्त किया है। उन्होंने कहा, “ज्योतिर्मठ उत्तराखंड का एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र है। भूधंसाव की आपदा ने इस क्षेत्र को गंभीर रूप से प्रभावित किया था। केंद्र सरकार द्वारा 291.15 करोड़ रुपये की मंजूरी ज्योतिर्मठ के पुनर्जनन और सुरक्षा के लिए एक ऐतिहासिक कदम है। मैं इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का तहे दिल से धन्यवाद करता हूं।” सीएम धामी ने यह भी आश्वासन दिया कि राज्य सरकार इस परियोजना को समयबद्ध तरीके से पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने स्थानीय प्रशासन को निर्देश दिए हैं कि कार्य की गुणवत्ता और पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए।

भूधंसाव का प्रभाव और चुनौतियां

  • आवासीय क्षति: सैकड़ों मकानों में दरारें आईं, जिसके कारण कई परिवारों को विस्थापित होना पड़ा।
  • बुनियादी ढांचे को नुकसान: सड़कें, स्कूल, अस्पताल, और अन्य सार्वजनिक सुविधाएं क्षतिग्रस्त हो गईं।
  • पर्यटन पर प्रभाव: ज्योतिर्मठ पर्यटकों और तीर्थयात्रियों के लिए एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। भूधंसाव ने पर्यटन को भी प्रभावित किया।
  • आर्थिक नुकसान: स्थानीय व्यवसाय, विशेष रूप से होटल और दुकानें, इस आपदा से प्रभावित हुए।

केंद्र और राज्य सरकार ने इस संकट से निपटने के लिए पहले भी कई कदम उठाए थे, जैसे प्रभावित परिवारों को पुनर्वास और आर्थिक सहायता प्रदान करना। अब 291.15 करोड़ रुपये की यह परियोजना इन समस्याओं का स्थायी समाधान प्रदान करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

ज्योतिर्मठ का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

ज्योतिर्मठ न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत का भी प्रतीक है। यह बद्रीनाथ धाम का शीतकालीन प्रवास स्थल है, जहां सर्दियों में भगवान बद्रीविशाल की पूजा की जाती है। इसके अलावा, यह आदि गुरु शंकराचार्य का तपस्थल भी है, जिन्होंने यहां ज्योतिर्मठ की स्थापना की थी। हर साल लाखों तीर्थयात्री बद्रीनाथ और हेमकुंड साहिब के दर्शन के लिए ज्योतिर्मठ से होकर गुजरते हैं। भूधंसाव की समस्या ने तीर्थयात्रियों की सुरक्षा को खतरे में डाल दिया था, लेकिन इस नई परियोजना से न केवल स्थानीय निवासियों बल्कि तीर्थयात्रियों को भी एक सुरक्षित विश्राम स्थल मिलेगा।

परियोजना से होने वाले लाभ

  1. भूधंसाव पर नियंत्रण: उन्नत तकनीकों और जलनिकासी व्यवस्था से भू-क्षरण को रोका जाएगा।
  2. सुरक्षित आवास: स्थानीय निवासियों के लिए सुरक्षित और टिकाऊ मकान सुनिश्चित किए जाएंगे।
  3. तीर्थयात्रियों की सुविधा: बद्रीनाथ और हेमकुंड साहिब के दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को सुरक्षित और सुविधाजनक ठहरने की व्यवस्था मिलेगी।
  4. पर्यटन को बढ़ावा: एक सुरक्षित ज्योतिर्मठ पर्यटकों को फिर से आकर्षित करेगा, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा।
  5. पर्यावरण संरक्षण: परियोजना में पर्यावरण-अनुकूल तकनीकों का उपयोग किया जाएगा, जो क्षेत्र की प्राकृतिक सुंदरता को बनाए रखेगा।

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SD Pandey

शंकर दत्त पांडेय वरिष्ठ पत्रकार हैं और पिछले चार दशक से मीडिया की दुनिया में सक्रिय हैं। Uncut Times के साथ वरिष्ठ सहयोगी के रूप से जुड़े हैं। उत्तराखंड की पत्रकारिता में जीवन का बड़ा हिस्सा बिताया है। कुमाऊं के इतिहास की अच्छी जानकारी रखते हैं। दर्जनों पत्र-पत्रिकाओं में समसामयिक और शोधपरक लेख प्रकाशित। लिखने-पढ़ने और घूमने में रुचि। इनसे SDPandey@uncuttimes.com पर संपर्क कर सकते हैं।


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