New delhi / Haldwani : उत्तराखंड के 65 वर्षीय जीवन जोशी की कहानी किसी चमत्कार से कम नहीं है। बचपन में पोलियो ने उनके पैरों की ताकत छीन ली, लेकिन उनके हौसलों और रचनात्मकता को कोई रोक नहीं सका। पीएम नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ में उनकी कहानी को साझा करते हुए कहा, “जीवन जोशी का नाम ही उनके व्यक्तित्व को दर्शाता है। पोलियो ने भले ही उनकी चलने की रफ्तार धीमी की, लेकिन उनकी कल्पनाओं ने हमेशा ऊंची उड़ान भरी।” जीवन जोशी ने अपनी शारीरिक चुनौतियों को कभी अपनी राह का रोड़ा नहीं बनने दिया और बगेट कला को नई पहचान दी।
कौन हैं जीवन जोशी?
जीवन जोशी उत्तराखंड के हल्द्वानी के शहर के कठघरिया क्षेत्र के निवासी हैं, जो एक कुशल काष्ठ शिल्पी हैं। 65 वर्षीय जीवन पिछले बीस वर्षों से वे काष्ठ कला के क्षेत्र में सक्रिय हैं, जिन्होंने अपनी अनूठी बगेट कला के माध्यम से राष्ट्रीय स्तर पर पहचान हासिल की है। बचपन में पोलियो से प्रभावित होने के बावजूद, उन्होंने अपने हौसले और रचनात्मकता से चीड़ के पेड़ों की सूखी छाल को खूबसूरत कलाकृतियों में बदलकर उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर को जीवंत किया। उनकी कला में लोक वाद्य यंत्र, पहाड़ी मंदिरों की प्रतिकृतियां और पारंपरिक ढोल-दमाऊ शामिल हैं।
क्या है बगेट आर्ट?
‘बगेट’ शब्द उत्तराखंड की पारंपरिक काष्ठकला से जुड़ा हुआ है। यह एक लोककला शैली है, जिसमें चीड़ के पेड़ों की सूखी छाल का उपयोग करके अद्भुत कलाकृतियां बनाई जाती हैं। इनमें लोक देवी-देवता, प्राकृतिक दृश्य, त्योहार, और स्थानीय जीवनशैली का सुंदर चित्रण होता है। जीवन जोशी ने इस कला को आधुनिक तकनीक और दृष्टिकोण के साथ मिलाकर एक अनोखा फ्यूजन तैयार किया, जो सबको आकर्षित करता है। आमतौर पर लोग चीड़ के पेड़ों की सूखी छाल को बेकार समझते हैं, लेकिन जीवन जोशी के हाथों में यह एक सांस्कृतिक धरोहर में बदल जाती है।
पीएम मोदी ‘मन की बात’ में सराहना की
‘मन की बात’ के 122वें एपिसोड में पीएम मोदी ने जीवन जोशी की कहानी को देशवासियों के साथ साझा किया। उन्होंने कहा, “जीवन जोशी का काम सिर्फ कला नहीं, एक साधना है। उन्होंने इस कला में अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। ऐसे कलाकार हमें याद दिलाते हैं कि अगर इरादा मजबूत हो, तो कुछ भी असंभव नहीं।” पीएम मोदी ने उनकी कला की तारीफ करते हुए कहा, “जीवन जोशी की हर रचना में उत्तराखंड की मिट्टी की खुशबू और पहाड़ों की आत्मा समाई होती है।” पीएम मोदी ने यह भी बताया कि जीवन जोशी की कला न केवल उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर को बढ़ावा दे रही है, बल्कि यह भारत की ‘वोकल फॉर लोकल’ पहल का भी प्रतीक है। उनकी रचनाएं स्थानीय कला और संसाधनों का उपयोग करके आत्मनिर्भरता को प्रोत्साहित करती हैं।
क्या कहा जीवन जोशी ने
जीवन जोशी जंगल के रास्तों से सूखी छाल इकट्ठा करते हैं और उससे लोक वाद्य यंत्र, पहाड़ी मंदिरों की लघु प्रतिकृतियां, ढोल, और दमाऊ जैसी रचनाएं बनाते हैं। हाल ही में पीटीआई वीडियो द्वारा उनके जीवन और कला पर आधारित एक वीडियो जारी किया गया, जिसमें उनके काम की प्रक्रिया को दिखाया गया। इस वीडियो में जीवन जोशी को जंगल में छाल इकट्ठा करते और उससे सुंदर कलाकृतियां बनाते हुए देखा जा सकता है। जीवन जोशी ने इस सम्मान के लिए प्रधानमंत्री का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “मन की बात में मेरा जिक्र होने से मुझे बहुत खुशी हुई। मैं इस कला के माध्यम से अन्य लोगों को भी स्वरोजगार से जोड़ने का प्रयास करूंगा।”
पर्यावरण और संस्कृति का संरक्षण
जीवन जोशी की बगेट कला केवल एक रचनात्मक कार्य नहीं है, बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण का भी एक अनूठा तरीका है। सूखी छाल, जिसे लोग अक्सर बेकार समझकर फेंक देते हैं, उसे जीवन जोशी ने एक मूल्यवान संसाधन में बदल दिया। उनकी यह कला युवा पीढ़ी को अपनी जड़ों से जुड़ने और पर्यावरण के प्रति जागरूक होने के लिए प्रेरित करती है। हाल ही में पीटीआई वीडियो द्वारा उनके जीवन और कला पर आधारित एक वीडियो जारी किया गया, जिसमें उनके काम की प्रक्रिया को दिखाया गया। इस वीडियो में जीवन जोशी को जंगल में छाल इकट्ठा करते और उससे सुंदर कलाकृतियां बनाते हुए देखा जा सकता है।
क्यों है जीवन जोशी की कहानी खास?
- प्रेरणादायक हौसला: पोलियो जैसी गंभीर बीमारी के बावजूद उन्होंने अपनी रचनात्मकता को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया।
- सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण: बागेट कला के माध्यम से उत्तराखंड की परंपराओं और संस्कृति को जीवंत रखा।
- पर्यावरण संरक्षण: बेकार समझी जाने वाली छाल को मूल्यवान कलाकृतियों में बदलकर पर्यावरण के प्रति जागरूकता फैलाई।
- वोकल फॉर लोकल: उनकी कला भारत की आत्मनिर्भरता और स्थानीय संसाधनों के उपयोग को बढ़ावा देती है।
हौसले की मिसाल बने जीवन
जीवन जोशी की कहानी यह साबित करती है कि सच्चा हौसला और रचनात्मकता किसी भी बाधा को पार कर सकती है। उनकी बगेट कला न केवल उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर को संजो रही है, बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण और आत्मनिर्भरता का भी प्रतीक है। पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा ‘मन की बात’ में उनकी सराहना ने उनकी कला को राष्ट्रीय मंच पर पहचान दिलाई है। जीवन जोशी न केवल एक कलाकार हैं, बल्कि एक सामाजिक प्रेरणा भी हैं।


पंकज जोशी हिंदी पत्रकारिता का जाना पहचाना नाम हैं। बिजनेस, ऑटो, टेक और आर्थिक मामलों के जानकार है। लगभग 25 वर्षों से विभिन्न संस्थानों में सेवाएं दे चुके हें। विभिन्न विषयों पर कई पुस्तकें प्रकाशित। कई मीडिया शो और इंटरव्यू के जरिए दुनियाभर में अपनी पहचान बना चुके हैं। UNCUT TIMES के वरिष्ठ सहयोगी के रूप में टीम का मार्गदर्शन कर रहे हैं। इनसे pankajjoshi@uncuttimes.com पर संपर्क किया जा सकता है।
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