जागेश्वर धाम में मोमो-चाऊमीन पर रोक, यहां देखें गाइडलाइन

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अल्मोड़ा। उत्तराखंड के प्रसिद्ध तीर्थस्थल जागेश्वर धाम में भंडारों में जंक फूड परोसने पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है। हर वर्ष आयोजित होने वाला श्रावणी मेला इस बार 16 जुलाई से 15 अगस्त 2025 तक चलेगा। इसके लिए गाइडलाइन जारी कर दी गई है। लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र यह मेला हर वर्ष श्रावण मास में आयोजित किया जाता है, जिसमें देशभर से भक्तगण बाबा जागेश्वर के दर्शन के लिए उमड़ते हैं।

इस बार जंक फूड पर पूरी तरह से प्रतिबंध

श्रावणी मेले में इस बार भंडारों में जंक फूड परोसने पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है। मंदिर समिति ने मेला आयोजन से पहले भंडारा लगाने वालों के लिए विशेष दिशा-निर्देश (गाइडलाइन) जारी कर दी है। इस बार मेले में एक महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिलेगा। मंदिर समिति ने जंक फूड जैसे चाऊमीन, मोमो, और थोक्पा बनाने और परोसने पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया है। इसके लिए समिति ने विशेष गाइडलाइन जारी की हैं, ताकि मेले की पवित्रता और परंपराओं को बनाए रखा जाए।

क्यों लिया गया यह फैसला?

पिछले कुछ वर्षों में जागेश्वर धाम के श्रावणी मेले में भंडारों में चाऊमीन, मोमो, थोक्पा, और अन्य जंक फूड परोसने की प्रथा बढ़ गई थी। इन खाद्य पदार्थों को न केवल अस्वास्थ्यकर माना जाता है, बल्कि यह मेले की पवित्रता और पारंपरिक मूल्यों के खिलाफ भी देखा गया। स्थानीय लोग और व्यापारी इस प्रथा का लंबे समय से विरोध कर रहे थे। उनका कहना था कि सावन माह में सात्विक भोजन की परंपरा है, और जंक फूड परोसना इस परंपरा का उल्लंघन है। जंक फूड में अक्सर अस्वास्थ्यकर तेल, मसाले, और रसायन होते हैं, जो श्रद्धालुओं के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकते हैं। इन शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए जागेश्वर धाम मंदिर समिति ने 2025 के श्रावणी मेले के लिए जंक फूड पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। यह निर्णय न केवल मेले की पवित्रता को बनाए रखेगा, बल्कि श्रद्धालुओं को स्वस्थ और सात्विक भोजन उपलब्ध कराने में भी मदद करेगा।

मंदिर समिति की विशेष गाइडलाइन

जागेश्वर धाम मंदिर समिति ने मेले के दौरान भंडारा संचालकों के लिए विशेष गाइडलाइन जारी की हैं, ताकि भोजन की गुणवत्ता और पवित्रता सुनिश्चित की जा सके। इन गाइडलाइनों में शामिल हैं:

  • जंक फूड पर प्रतिबंध: चाऊमीन, मोमो, थोक्पा, बर्गर, पिज्जा, और अन्य तले हुए या अस्वास्थ्यकर खाद्य पदार्थों को बनाने और परोसने की सख्त मनाही है।
  • सात्विक भोजन को प्राथमिकता: भंडारों में केवल सात्विक भोजन जैसे खिचड़ी, दाल-चावल, रोटी-सब्जी, हलवा, और फल परोसे जाएंगे। मांसाहारी भोजन और लहसुन-प्याज युक्त भोजन पर भी रोक रहेगी।
  • स्वच्छता मानक: भंडारा संचालकों को स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना होगा। भोजन तैयार करने और परोसने के स्थान को साफ रखना अनिवार्य होगा।
  • खाद्य सुरक्षा जांच: जिला खाद्य सुरक्षा विभाग द्वारा भंडारों की नियमित जांच की जाएगी। मिलावटी या अस्वास्थ्यकर भोजन पाए जाने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
  • पर्यावरण संरक्षण: भंडारों में प्लास्टिक के उपयोग पर रोक रहेगी। पत्तल और डिस्पोजेबल पर्यावरण-अनुकूल बर्तनों का उपयोग अनिवार्य होगा।
  • लाइसेंस और पंजीकरण: भंडारा लगाने के लिए मंदिर समिति से पंजीकरण और अनुमति लेना अनिवार्य होगा। बिना अनुमति के भंडारा लगाने वालों के खिलाफ कार्रवाई होगी।

इन गाइडलाइनों का पालन सुनिश्चित करने के लिए मंदिर समिति और जिला प्रशासन संयुक्त रूप से निगरानी करेंगे।

जागेश्वर धाम का महत्व

जागेश्वर धाम उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है और यह 125 प्राचीन मंदिरों का समूह है। यह धाम जटागंगा के किनारे बसा है और सावन माह में यहां लाखों श्रद्धालु भगवान शिव के दर्शन और जलाभिषेक के लिए आते हैं। श्रावणी मेला इस क्षेत्र का एक प्रमुख धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन है, जिसे 2021 में राज्य मेले का दर्जा मिल चुका है। यह मेला न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह स्थानीय संस्कृति, परंपराओं, और अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा देता है। मेले के दौरान कांवड़ यात्रा, भजन-कीर्तन, और पारंपरिक भंडारे आयोजित किए जाते हैं, जो श्रद्धालुओं को एक आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करते हैं।

स्थानीय लोगों और व्यापारियों की प्रतिक्रिया

जागेश्वर धाम के आसपास के स्थानीय लोगों और व्यापारियों ने इस फैसले का स्वागत किया है। स्थानीय निवासी रमेश चंद्र ने कहा, “जंक फूड का चलन मेले की पवित्रता को कम कर रहा था। यह निर्णय हमारी परंपराओं और स्वास्थ्य दोनों के लिए अच्छा है।” वहीं, एक स्थानीय व्यापारी कमल जोशी ने बताया, “हम अब पारंपरिक उत्तराखंडी व्यंजन जैसे मंडवे की रोटी, गहत की दाल, और काला भट्ट परोसने की योजना बना रहे हैं, जो मेले को और आकर्षक बनाएंगे।” जागेश्वर धाम के पुजारी पंडित प्रकाश जोशी ने भी इस निर्णय की सराहना करते हुए कहा, “सावन माह में भगवान शिव को सात्विक भोजन का भोग लगाया जाता है। भंडारों में जंक फूड परोसना धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अनुचित था। यह कदम मेले की गरिमा को बनाए रखेगा।”

SD Pandey

शंकर दत्त पांडेय वरिष्ठ पत्रकार हैं और पिछले चार दशक से मीडिया की दुनिया में सक्रिय हैं। Uncut Times के साथ वरिष्ठ सहयोगी के रूप से जुड़े हैं। उत्तराखंड की पत्रकारिता में जीवन का बड़ा हिस्सा बिताया है। कुमाऊं के इतिहास की अच्छी जानकारी रखते हैं। दर्जनों पत्र-पत्रिकाओं में समसामयिक और शोधपरक लेख प्रकाशित। लिखने-पढ़ने और घूमने में रुचि। इनसे SDPandey@uncuttimes.com पर संपर्क कर सकते हैं।


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