भारत की योग परंपरा, जो बन गई वैश्विक धरोहर

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस : भारत की योग परंपरा, जो बन गई वैश्विक धरोहर

शरदेंदु सौरभ

ऋषियों, मुनियों और तपस्वियों की धरती भारतवर्ष सदियों से अपनी मेधा, दर्शन और जीवनशैली से पूरी दुनिया को चमत्कृत करती रही है। पश्चिमी देशों ने अनेक बार यह दावा किया कि वे दुनिया को चमत्कारों से भर देंगे, लेकिन आज वे स्वयं भारत की गौरवमयी योग परंपरा के आगे नतमस्तक हैं। योग व्यायाम नहीं, हमारे पुरखों की जीवनशैली का अंग रहा है। अब दुनिया ने इसे पहचाना है और भारत की परंपरा वैश्विक धरोहर बन गई है।

वैश्विक प्रसार के पीछे भारत

योग भारत की सदियों पुरानी जीवनशैली है। यह केवल एक शारीरिक अभ्यास नहीं, बल्कि मानसिक, आध्यात्मिक और भावनात्मक शुद्धि का मार्ग है। जिस प्रकार आधुनिक दुनिया तनाव, अवसाद और मानसिक रोगों से ग्रस्त है, ऐसे में योग एक युगांतकारी क्रांति के रूप में उभरा है। वह मानसिकता जो भारत को वैश्विक मंच पर उभरने नहीं देना चाहती थी, वह योग की दिव्यता के आगे टिक नहीं पाई। हमारे योग ऋषियों ने जिस पुरुषार्थ, साधना और समर्पण से योग को जीवन में आत्मसात किया, उसकी बानगी अब दुनिया के हर कोने में दिखाई देती है।

ऊजार्वान बनाता है योग

आज की व्यस्त दिनचर्या और तनावपूर्ण जीवन ने हमें बीमारियों की ओर धकेल दिया है। युवामन भी थका-थका और बीमार महसूस करने लगा है। लेकिन योग एक ऐसा साधन है जो हमें फिर से ऊर्जावान, केंद्रित और मानसिक रूप से सशक्त बना सकता है। योग और अध्यात्म एक-दूसरे के पूरक और सहायक हैं। योग का स्पर्श हमारे जीवन को विराट और दिव्य बना देता है। यही कारण है कि आज पूरा विश्व योग को एक उत्सव की तरह मना रहा है।

शरीर, मन और आत्मा का संतुलन

विभिन्न प्रकार के रोगों से बचने के लिए हमारी योग पद्धति में विभिन्न प्रकार के योग आसन, प्राणायाम हैं। इनकी नियमित क्रियाओं के द्वारा हम अपने मन और शरीर दोनों को निरोग रख सकते हैं। योग को परिभाषित किया जाए तो इस शब्द का अर्थ है- “जोड़ना”, अर्थात अपने बिखरे हुए अस्तित्व को एक सूत्र में पिरोना। हम अपनी बिखरी शक्तियों का साक्षात्कार कर सकते हैं और उन्हें लयात्मक बना सकते हैं। योग के माध्यम से हम शरीर के सभी अंगों का संतुलन साध सकते हैं। प्राणायाम व ध्यान से मानसिक शांति प्राप्त कर सकते हैं। आसनों के द्वारा रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा सकते हैं और आध्यात्मिक उन्नति के मार्ग पर बढ़ सकते हैं। 

वैश्विक मंच पर भारतीय योग परंपरा

यह हमारे लिए गर्व का विषय है कि हम आज 9वां अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मना रहे हैं। भारत की योग परंपरा की वैश्विक स्वीकार्यता दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है। अनेक देश खुलकर भारत के साथ योग के इस अभियान में जुड़ रहे हैं। भारत के योगाचार्यों ने विश्व के अनेक देशों में जाकर इस परंपरा को कालजयी बना दिया है। आज यह केवल भारत की नहीं, बल्कि पूरी मानवता की साझा धरोहर बन चुकी है।

( युवा लेखक, कॉलमिस्ट शरदेंदु सौरभ इलाहाबाद उच्च न्यायालय में अधिवक्ता हैं।)

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