रामनगर, उत्तराखंड। देशभर के लाखों करदाताओं के लिए इन दिनों इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) दाखिल करना एक चुनौती बन गया है। तकनीकी खामियों और आयकर विभाग की ओर से आवश्यक ITR फॉर्म्स के समय पर जारी न होने के कारण रिटर्न फाइलिंग की प्रक्रिया बुरी तरह प्रभावित हो रही है। कर विशेषज्ञों और टैक्स बार एसोसिएशन ने मांग की है कि ऐसी स्थिति को देखते हुए आयकर रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तिथि (ITR Filing Deadline) को एक बार फिर आगे बढ़ाया जाए।
अभी तक नहीं जारी हुए कई जरूरी फॉर्म
गौरतलब है कि असेसमेंट ईयर 2025-26 के लिए ITR-1 और ITR-4 जैसे सामान्य रिटर्न फॉर्म पहले ही जारी कर दिए गए थे, लेकिन अभी तक ITR-2, ITR-3, ITR-5, ITR-6 और ITR-7 जैसे महत्वपूर्ण फॉर्म और संबंधित यूटिलिटीज (Utilities) जारी नहीं की गई हैं। ये फॉर्म्स खासतौर पर उन करदाताओं के लिए हैं जिनकी आय वेतन के अलावा कैपिटल गेन, प्रॉपर्टी से किराया या बिजनेस आदि से होती है।
टैक्स बार एसोसिएशन की प्रतिक्रिया
रामनगर टैक्स बार एसोसिएशन के अध्यक्ष पूरन चंद्र पाण्डेय ने कहा कि —
“सिस्टम में बार-बार तकनीकी फेलियर और फॉर्म्स की अनुपलब्धता की वजह से आम करदाता असमंजस में हैं। ऐसी स्थिति में ITR दाखिल करने की अंतिम तिथि 31 जुलाई 2025 से आगे बढ़ाना जरूरी हो गया है।”
वहीं आयकर अधिवक्ता व एसोसिएशन के उप सचिव मनु अग्रवाल ने कहा कि —
“विभाग को चाहिए कि जल्द से जल्द सभी आवश्यक फॉर्म्स और यूटिलिटीज जारी करे ताकि करदाताओं को समय पर रिटर्न भरने का मौका मिल सके। विभाग की लापरवाही का बोझ आम लोगों पर नहीं पड़ना चाहिए।”
पहले ही बढ़ चुकी है डेडलाइन
बढ़ते दबाव को देखते हुए CBDT (केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड) ने पहले ही गैर-ऑडिट मामलों के लिए रिटर्न फाइल करने की अंतिम तिथि 31 जुलाई से बढ़ाकर 15 सितंबर 2025 कर दी है। हालांकि यह राहत अधूरी साबित हो रही है, क्योंकि बिना फॉर्म्स के रिटर्न दाखिल करना तकनीकी रूप से संभव नहीं है।
कौन हो रहे हैं प्रभावित?
- वेतनभोगी कर्मचारी, जिनकी आय के साथ-साथ स्टॉक्स, म्यूचुअल फंड, किराए या अन्य स्रोत से भी इनकम है।
- फर्म, साझेदारी कंपनियां (Partnership Firms), ट्रस्ट और कंपनियां, जिन्हें ITR-5, ITR-6 या ITR-7 फॉर्म की आवश्यकता होती है।
- सीए और टैक्स प्रोफेशनल्स, जिन पर एक ही समय में सैकड़ों क्लाइंट्स की जिम्मेदारी होती है।
क्या फिर आगे बढ़ेगी अंतिम तिथि?
टैक्स बार एसोसिएशन ने अब मांग की है कि गैर-ऑडिट मामलों की अंतिम तिथि 30 अक्टूबर 2025 तक बढ़ाई जाए। ऑडिट वाले मामलों के लिए अंतिम तिथि 31 दिसंबर 2025 तय की जाए। इससे न केवल करदाताओं को राहत मिलेगी, बल्कि कर सलाहकारों और टैक्स पेशेवरों को भी फाइलिंग के लिए पर्याप्त समय मिल पाएगा।
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