Dehradun News : उत्तराखंड में जहां एक ओर महिलाएं शराबबंदी की मांग को लेकर सड़कों पर उतर रही हैं, वहीं अब इस विभाग की जिम्मेदारी ही एक महिला आईएएस अधिकारी को सौंप दी गई है। वर्ष 2016 बैच की आईएएस अनुराधा पाल को राज्य की पहली महिला आबकारी आयुक्त नियुक्त किया गया है। एक दिलचस्प बात ये भी है कि अनुराधा के पिता दूध बेचकर परिवार चलाते थे, अब बेटी को शराब से संबंधित विभाग संभालने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
उत्तराखंड के शराबबंदी आंदोलन में महिलाएं अगुआ
उत्तराखंड में शराबबंदी के लिए महिलाओं का आंदोलन दशकों पुराना है। 1990 के दशक में उत्तराखंड राज्य आंदोलन के दौरान महिलाओं ने शराब की बिक्री और खपत के खिलाफ बड़े पैमाने पर प्रदर्शन किए थे। चमोली, टिहरी, और पौड़ी जैसे जिलों में महिलाओं ने शराब की दुकानों को बंद करवाने और सामाजिक जागरूकता फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 1994 में चमोली की महिलाओं ने शराब की दुकानों को बंद करवाने के लिए सड़कों पर उतरकर आंदोलन शुरू किया था, जो बाद में पूरे राज्य में फैल गया। हाल के वर्षों में भी, 2023 में हरिद्वार में शराबबंदी मंच ने एक बड़ा प्रदर्शन किया, जिसमें हजारों महिलाओं ने हिस्सा लिया। हालांकि, सरकार के लिए शराबबंदी लागू करना आसान नहीं है, क्योंकि यह राजस्व का एक बड़ा स्रोत है।
दूध बेचने वाले पिता की बेटी के पास शराब का विभाग
हरिद्वार के एक छोटे से गांव से ताल्लुक रखने वाली अनुराधा के पिता दूध बेचकर परिवार चलाते थे। सीमित संसाधनों के बीच अनुराधा ने न केवल पढ़ाई की, बल्कि यूपीएससी जैसी कठिन परीक्षा पास कर आईएएस बनीं। उनकी शुरुआती पढ़ाई नवोदय विद्यालय, हरिद्वार में हुई। इसके बाद उन्होंने गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय से 2008 में इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन में बीटेक किया। कुछ समय प्राइवेट नौकरी करने के बाद उन्होंने लेक्चरर के तौर पर तीन साल कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी, रुड़की में भी पढ़ाया और साथ ही सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी की। 2012 में उन्होंने पहली बार यूपीएससी परीक्षा दी और 451वीं रैंक हासिल की, लेकिन आईएएस नहीं बन पाईं। 2015 में दोबारा प्रयास किया और इस बार ऑल इंडिया रैंक 62 के साथ उनका सपना साकार हुआ। इस शानदार प्रदर्शन के साथ वे 2016 बैच की उत्तराखंड कैडर IAS अधिकारी बन गईं।
कई जिलों में संभाली प्रशासनिक जिम्मेदारी
आईएएस अनुराधा पाल ने अपने अब तक के करियर में उत्तराखंड के विभिन्न जिलों में डीएम सहित कई महत्वपूर्ण प्रशासनिक पदों पर कार्य किया है।
- जिलाधिकारी, रुद्रप्रयाग: आपदा प्रबंधन और पुनर्वास में उनकी भूमिका सराहनीय रही।
- जिलाधिकारी, हरिद्वार: कुंभ मेले जैसे बड़े आयोजनों के प्रबंधन में उनकी कुशलता दिखी।
- निदेशक, प्रशिक्षण: प्रशासनिक अधिकारियों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों को मजबूत किया।
2 जून 2025 को उन्होंने राज्य की आबकारी आयुक्त के रूप में कार्यभार संभाला और 3 जून को पहली विभागीय बैठक लेकर काम की शुरुआत की। इसके साथ वे इस पद पर तैनात होने वाली पहली महिला अधिकारी बन गईं। यह नियुक्ति इसलिए भी खास है, क्योंकि उत्तराखंड में शराबबंदी के लिए महिलाओं का आंदोलन लंबे समय से सक्रिय है।
नए पद पर चुनौतियां भी कम नहीं
आबकारी विभाग उत्तराखंड के लिए राजस्व का एक प्रमुख स्रोत है। 2024-25 में विभाग ने 3,500 करोड़ रुपये से अधिक राजस्व का लक्ष्य रखा है। हालांकि, यह विभाग कई चुनौतियों का सामना करता है। उत्तराखंड की सीमाएं हिमाचल प्रदेश और उत्तर प्रदेश से लगती हैं, जिसके कारण तस्करी एक बड़ी समस्या है। लाइसेंसिंग और वितरण में अनियमितताओं की शिकायतें समय-समय पर सामने आती रही हैं। अनुराधा पाल के सामने इन चुनौतियों से निपटने और विभाग को और अधिक कुशल बनाने की जिम्मेदारी है।
आबकारी आयुक्त के रूप में प्राथमिकताएं
अनुराधा पाल ने कार्यभार संभालते ही स्पष्ट किया कि उनकी प्राथमिकता आबकारी नीति का प्रभावी कार्यान्वयन, अवैध शराब की बिक्री पर रोक, और पारदर्शी प्रशासन सुनिश्चित करना है। उन्होंने कहा, “आबकारी विभाग राजस्व का एक महत्वपूर्ण स्रोत है, और इसे और अधिक संगठित और पारदर्शी बनाने की जरूरत है। अवैध शराब और तस्करी पर सख्त कार्रवाई होगी।” इसके अलावा, उन्होंने महिलाओं की सुरक्षा और शराब से संबंधित सामाजिक समस्याओं को कम करने के लिए जागरूकता अभियान चलाने की भी योजना बनाई है।
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डॉ. विशेष रिसर्च और स्वास्थ्य के मामलों पर पकड़ रखते हैं। जामिया मिलिया इस्लामिया से पत्रकारिता के गुर सीखने के बाद देश-दुनिया के कई नामचीन संस्थानों से जुड़े रहे हैं। पिछले 18 साल से रिसर्च से जुड़े संस्थानों की कार्यप्रणाली पर उनकी गहरी नजर रहती है। शोध, इंटरव्यू और सर्वे में महारत। इन दिनों Uncut Times की रिसर्च टीम काे समृद्ध कर रहे हैं। इनसे vishesh@uncuttimes.com पर जुड़ सकते हैं।
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