सरकारी सड़क को प्लॉट बताकर रजिस्ट्री कर दी, 14 साल बाद खुलासा

हल्द्वानी : उत्तराखंड के हल्द्वानी शहर में एक चौंकाने वाला लैंड फ्रॉड सामने आया है, जिसने भू-माफियाओं और प्रशासनिक लापरवाही की पोल खोल दी है। मुखानी थाना क्षेत्र के रामड़ी आनसिंह इलाके में भू-माफियाओं ने सरकारी सड़क को रिहायशी प्लॉट बताकर 9 लोगों को बेच दिया, जिसमें कुमाऊं रेजिमेंट का एक जवान भी शामिल है। इस घोटाले का खुलासा होने में 14 साल लग गए।

रजिस्ट्री भी हो गई

वर्ष 2011 में कश्मीर में तैनात कुमाऊं रेजीमेंट के एक जवान ने अपनी पत्नी के नाम पर हल्द्वानी के रामड़ी आनसिंह क्षेत्र में 1900 वर्गफुट जमीन की रजिस्ट्री करवाई थी। उन्होंने वहां चारदीवारी भी बनवाई और हर छुट्टी में उसकी देखभाल के लिए आते रहे। लेकिन हाल ही में जब जवान छुट्टी में हल्द्वानी आया तो उसकी जमीन पर किसी और का कब्जा था। जांच करने पर सामने आया कि जिस जमीन को प्लॉट बताकर बेचा गया था, वो असल में सरकारी रिकॉर्ड में “सड़क” दर्ज है। यही नहीं, उसी सड़क को 9 अन्य लोगों को भी रिहायशी प्लॉट बताकर बेच दिया गया है।

कैसे हुआ खुलासा?

पीड़ित जवान ने इस गंभीर धोखाधड़ी की शिकायत जनसुनवाई में कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत से की, जहां उन्होंने सारे दस्तावेज और जानकारी पेश की। यह सुनकर कमिश्नर भी स्तब्ध रह गए और तत्काल जांच के आदेश दे दिए। इसके बाद मुखानी थाना पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

कौन-कौन बने शिकार?

पीड़ितों में कुमाऊं रेजीमेंट का जवान, अन्य 8 आम नागरिक शामिल हैं। सभी ने जीवन भर की पूंजी लगाकर प्लॉट खरीदे। अब पता चला कि वह जमीन असल में सड़क थी।

जीवनभर की कमाई डूबी

इस घोटाले का सबसे दुखद पहलू यह है कि पीड़ितों में शामिल कुमाऊं रेजिमेंट का जवान और अन्य आम नागरिक अपनी जीवन भर की कमाई को इस फर्जी जमीन में निवेश कर चुके हैं। जवान ने अपनी मेहनत से कमाए पैसे को सुरक्षित भविष्य के लिए जमीन में लगाया था, लेकिन अब उसे न केवल आर्थिक नुकसान हुआ, बल्कि भावनात्मक आघात भी पहुंचा है। इसी तरह, अन्य पीड़ितों ने भी अपनी बचत को इस उम्मीद में निवेश किया था कि वे अपने परिवार के लिए एक घर बना सकेंगे। लेकिन अब उनकी जमीन सरकारी सड़क निकलने से उनकी सारी उम्मीदें टूट गई हैं।

भू-माफियाओं का नेटवर्क और प्रशासन की लापरवाही

हल्द्वानी में यह लैंड फ्रॉड न केवल एक व्यक्तिगत धोखाधड़ी का मामला है, बल्कि यह भू-माफिया नेटवर्क और प्रशासनिक लापरवाही की गहरी सांठगांठ की ओर इशारा करता है। हल्द्वानी और कुमाऊं क्षेत्र में पिछले कुछ वर्षों में लैंड फ्रॉड के कई मामले सामने आए हैं।

  • 2023 में लालकुआं में एक प्रॉपर्टी डीलर ने नकली दस्तावेजों के सहारे 20 लोगों को फर्जी प्लॉट बेचे थे।

  • 2024 में रामनगर में सरकारी जमीन को प्राइवेट प्लॉट के रूप में बेचने का मामला सामने आया था।

उठ रहे कई सवाल

इस घोटाले से राजस्व विभाग, नगर निगम और रजिस्ट्रार ऑफिस की भूमिका पर सवाल खड़े हो गए हैं:

  • नक्शा स्वीकृत कैसे हुआ?
  • सरकारी जमीन की रजिस्ट्री कैसे हुई?
  • रजिस्ट्री से पहले सत्यापन क्यों नहीं हुआ?

कुमाऊं कमिश्नर का सख्त एक्शन

जब इस मामले की शिकायत कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत के सामने जनसुनवाई में पहुंची, तो उन्होंने तत्काल कार्रवाई के आदेश दिए। मुखानी थाना पुलिस को प्रॉपर्टी डीलरों के खिलाफ धोखाधड़ी, जालसाजी, और लैंड फ्रॉड की धाराओं में मुकदमा दर्ज करने के निर्देश दिए गए। पुलिस ने जांच शुरू कर दी है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की तैयारी कर रही है। कमिश्नर रावत ने यह भी निर्देश दिया कि इस मामले में शामिल सभी पक्षों की भूमिका की जांच की जाए, जिसमें राजस्व विभाग, नगर निगम, और रजिस्ट्रार कार्यालय के अधिकारियों की संलिप्तता भी शामिल है। साथ ही, यह देखा जा रहा है कि हल्द्वानी या अन्य क्षेत्रों में और भी इस तरह के फ्रॉड तो नहीं हुए हैं।

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