हल्द्वानी: गौलापार क्षेत्र में दस वर्षीय छात्र की निर्मम हत्या के मामले में सनसनीखेज खुलासे हुए हैं। आरोपी पुलिस को मनगढ़ेत कहानियां सुनाता रहा लेकिन आसपास के सीसीटीवी फुटेज खंगालने पर पुलिस को सुराग मिल गया। एक फुटेज में मासूम को आरोपी के घर जाते हुए देखा गया लेकिन उसके बाद वह वापस लौटता नहीं दिखाई दिया। इसके बाद पुलिस ने सख्ती से पूछताछ की और मनोवैज्ञानिक की मदद से सवाल किए ताे राज खुल गया।
तांत्रिक कहानी से गुमराह करने की कोशिश
मुख्य आरोपी 38 वर्षीय निखिल जोशी, ने शुरुआत में पुलिस को तांत्रिक अनुष्ठानों की झूठी कहानियां सुनाकर गुमराह करने की कोशिश की। उसने बार-बार अपनी कहानी बदली, जिससे पुलिस की जांच और जटिल हो गई। निखिल की जटिल मानसिक स्थिति को देखते हुए पुलिस ने मनोचिकित्सक डॉ. युवराज पंत की सहायता ली। तीन दिन की गहन काउंसलिंग और सख्त पूछताछ के बाद शुक्रवार देर रात निखिल टूट गया और उसने अपना जुर्म कबूल कर लिया। उसकी निशानदेही पर शनिवार को पुलिस ने बगीचे के एक अन्य गड्ढे से मासूम का कटा हुआ सिर और दाहिना हाथ बरामद किया।
बहला-फुसलाकर अपने घर ले गया
पुलिस के अनुसार, निखिल जोशी ने दुष्कर्म की मंशा से मासूम को बहला-फुसलाकर अपने घर ले गया। जब बच्चे ने विरोध किया, तो उसने उसका गला घोंटकर हत्या कर दी। सबूत मिटाने के लिए उसने धारदार हथियार से बच्चे का सिर और दाहिना हाथ काट दिया और उन्हें अलग-अलग गड्ढों में दफना दिया। हालांकि, हत्या में इस्तेमाल हथियार अभी तक बरामद नहीं हो सका है।
मनोवैज्ञानिक से मदद मांगी
नैनीताल के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) प्रह्लाद नारायण मीणा ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए एक विशेष जांच टीम का गठन किया। सीसीटीवी फुटेज, स्थानीय लोगों से पूछताछ, और मनोवैज्ञानिक सहायता ने इस जटिल मामले को सुलझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। एसएसपी मीणा ने शनिवार शाम एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया, “आरोपी निखिल जोशी बेहद शातिर प्रवृत्ति का है। उसने तांत्रिक अनुष्ठानों की कहानी बनाकर हमें गुमराह करने की कोशिश की, लेकिन हमारी टीम ने साक्ष्यों और मनोवैज्ञानिक पूछताछ के जरिए सच सामने ला दिया।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि निखिल के परिवार के चार अन्य सदस्यों से पूछताछ की गई, लेकिन उनकी इस अपराध में कोई संलिप्तता नहीं पाई गई।
यह था पूरा मामला
घटना 4 अगस्त 2025 को हुई। गौलापार के पश्चिमी खेड़ा में रहने वाला 10 वर्षीय बालक कक्षा 5 का छात्र था। दोपहर करीब 12:20 बजे वह कोल्ड ड्रिंक लेने के लिए पास की दुकान पर गया। मूल रूप से उत्तर प्रदेश के बरेली निवासी मासूम का परिवार गौलापार में रहता है। जब अमित देर तक घर नहीं लौटा, तो चिंतित परिवार ने काठगोदाम थाने में गुमशुदगी की शिकायत दर्ज की। पुलिस ने तुरंत जांच शुरू की और आसपास के सीसीटीवी फुटेज खंगाले। एक फुटेज में अमित को पड़ोस में रहने वाले निखिल जोशी के साथ जाते हुए देखा गया, लेकिन वह वापस लौटता नहीं दिखा। यह फुटेज इस मामले का पहला बड़ा सुराग बना। इसके बाद पुलिस ने निखिल के घर के पास से अमित की चप्पल बरामद की, जिसने संदेह को और गहरा किया।
शव की बरामदगी से फैली दहशत
5 अगस्त को पुलिस ने गौलापार के पश्चिमी खेड़ा में मोहन चंद्र जोशी के बगीचे में एक गड्ढे से प्लास्टिक के बोरे में बंद अमित का धड़ बरामद किया। शव का सिर और दाहिना हाथ कोहनी के नीचे से गायब था, जिसने इस हत्याकांड को और भी भयावह बना दिया। इस खोज ने पूरे क्षेत्र में दहशत फैला दी। स्थानीय निवासियों और मृतक के परिजनों में आक्रोश बढ़ गया, और उन्होंने पुलिस पर त्वरित कार्रवाई का दबाव बनाया। 6 अगस्त को परिजनों और ग्रामीणों का गुस्सा फूट पड़ा। मृतक की मां और परिवार ने अमित की तस्वीरें लेकर काठगोदाम थाने के बाहर धरना दिया और न्याय की मांग की। इस दौरान नैनीताल रोड पर ट्रैफिक पूरी तरह ठप हो गया। परिजनों ने पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगाया, क्योंकि संदिग्ध परिवार के सदस्य थाने में आराम से बैठे नजर आए। पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए बल प्रयोग किया, जिससे तनाव और बढ़ गया।


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