नई दिल्ली (सुभाष भट्ट) : भारत के महत्वाकांक्षी गगनयान मिशन की पहली मानवरहित उड़ान में एक अनोखा यात्री शामिल होगा – फल मक्खी (Fruit Fly)। टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) के वैज्ञानिकों ने इस प्रयोग के लिए तैयारियां पूरी कर ली हैं, जो अंतरिक्ष यात्रियों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों को समझने में मदद करेगा।
गगनयान मिशन: क्यों भेजी जा रही हैं मक्खियां?
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा संचालित गगनयान मिशन भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन है, जिसका लक्ष्य 2027 तक भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजना है। इस मिशन की पहली मानवरहित उड़ान 2025 में होगी, और इसमें फल मक्खियां (Drosophila melanogaster) एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी। टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) के वैज्ञानिकों ने कईकारणों से फल मक्खियों को इस प्रयोग के लिए चुना है।
- 75% जीन समानता: फल मक्खियों के जीन का 75% हिस्सा मानव रोगों से संबंधित जीनों से मेल खाता है, जो उन्हें मानव स्वास्थ्य अध्ययन के लिए आदर्श बनाता है।
- समान शारीरिक तंत्र: इनका उत्सर्जन तंत्र (excretory system) और मेटाबॉलिक प्रक्रियाएं मनुष्यों से मिलती-जुलती हैं, जिससे अंतरिक्ष में होने वाले शारीरिक परिवर्तनों का अध्ययन आसान हो जाता है।
- त्वरित परिणाम: फल मक्खियों का जीवनकाल केवल 5 से 60 दिन का होता है, जिससे वैज्ञानिकों को कम समय में ही शोध के परिणाम प्राप्त हो जाते हैं।
- SIRT1 जीन पर फोकस: यह जीन उम्र बढ़ने, मेटाबॉलिज्म, और तनाव प्रतिक्रिया को नियंत्रित करता है। वैज्ञानिक यह अध्ययन करेंगे कि अंतरिक्ष की माइक्रोग्रैविटी में इस जीन का व्यवहार कैसे बदलता है।
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- दो समूहों में मक्खियां: एक समूह को अंतरिक्ष में गगनयान की मानवरहित उड़ान के दौरान भेजा जाएगा। दूसरा समूह पृथ्वी पर रहेगा, जो नियंत्रण समूह (control group) के रूप में काम करेगा।
- विशेष शीशियां: मक्खियों को विशेष डिजाइन की गई शीशियों में रखा जाएगा, जो अंतरिक्ष की कठिन परिस्थितियों (माइक्रोग्रैविटी, विकिरण, आदि) में उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करेंगी। इन शीशियों में कैमरे और सेंसर लगे होंगे, जो मक्खियों की गतिविधियों और शारीरिक परिवर्तनों की निगरानी करेंगे।
- अध्ययन का फोकस: SIRT1 जीन के स्तर में बदलाव का विश्लेषण। किडनी स्टोन, मेटाबॉलिक डिसऑर्डर, और तनाव प्रतिक्रिया पर अंतरिक्ष यात्रा के प्रभाव। अंतरिक्ष में प्रजनन, विकास, और उम्र बढ़ने की प्रक्रिया पर प्रभाव।
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यह शोध क्यों महत्वपूर्ण?
- अंतरिक्ष यात्रियों के लिए स्वास्थ्य समाधान: अंतरिक्ष में माइक्रोग्रैविटी और कॉस्मिक विकिरण के कारण अंतरिक्ष यात्रियों को हड्डी कमजोरी, मांसपेशी हानि, किडनी स्टोन, और मेटाबॉलिक समस्याएं हो सकती हैं। यह शोध इन जोखिमों को कम करने के लिए नई दवाएं और उपचार विकसित करने में मदद करेगा।
- दीर्घकालिक मिशन: भविष्य में चंद्रमा, मंगल, या अंतरिक्ष स्टेशन जैसे दीर्घकालिक मिशनों के लिए यह शोध महत्वपूर्ण डेटा प्रदान करेगा।
- वैश्विक योगदान: यह अध्ययन भारत को अंतरिक्ष चिकित्सा अनुसंधान में अग्रणी बनाएगा, जिससे NASA, ESA, और Roscosmos जैसे संगठनों के साथ सहयोग के अवसर बढ़ेंगे।
- जैविक अनुसंधान: फल मक्खियों पर यह शोध पृथ्वी पर भी उम्र बढ़ने, मेटाबॉलिज्म, और तनाव प्रबंधन से संबंधित चिकित्सा अनुसंधान को बढ़ावा देगा।
वैज्ञानिकों का नजरिया क्या कहता है?
TIFR के निदेशक प्रोफेसर संदीप त्रिवेदी ने कहा, “फल मक्खियों का यह प्रयोग छोटा लग सकता है, लेकिन यह मानव अंतरिक्ष यात्रा के लिए एक बड़ा कदम है। यह भारत के वैज्ञानिक समुदाय की ताकत और नवाचार को दर्शाता है।” ISRO के चेयरमैन डॉ. एस. सोमनाथ ने इस प्रयोग की सराहना करते हुए कहा, “TIFR के साथ हमारा सहयोग गगनयान मिशन को न केवल तकनीकी दृष्टि से बल्कि जैविक अनुसंधान में भी मजबूत करेगा।”
TIFR की शोधकर्ता डॉ. जुली अदारकर ने बताया, “यह प्रयोग हमें यह समझने में मदद करेगा कि अंतरिक्ष की माइक्रोग्रैविटी और विकिरण मानव शरीर पर कैसे असर डालते हैं। विशेष रूप से, हम किडनी स्टोन और मेटाबॉलिक समस्याओं जैसे स्वास्थ्य जोखिमों पर ध्यान दे रहे हैं, जो अंतरिक्ष यात्रियों के लिए एक बड़ी चुनौती हैं।” TIFR के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. उल्लास कोल्थुर ने इस प्रयोग के महत्व पर कहा, “हम यह जांच करेंगे कि क्या SIRT1 जीन के स्तर को नियंत्रित करके अंतरिक्ष यात्रा के दुष्प्रभावों को कम किया जा सकता है। यह शोध भविष्य के दीर्घकालिक अंतरिक्ष मिशनों, जैसे चंद्रमा या मंगल यात्रा, के लिए महत्वपूर्ण होगा।”
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गगनयान मिशन की समयरेखा
गगनयान मिशन भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन है, जिसके तहत 2027 तक तीन भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी की निचली कक्षा (400 किमी) में 3 से 7 दिन के लिए भेजा जाएगा। अधिक जानकारी के लिए ISRO की आधिकारिक वेबसाइट www.isro.gov.in या TIFR की वेबसाइट www.tifr.res.in पर जाएं।
वर्ष | मिशन की स्थिति |
---|---|
2025 | पहली मानवरहित उड़ान (फल मक्खियों के साथ) |
2026 | दूसरी परीक्षण उड़ान |
2027 | भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजने की योजना |
भारत के अंतरिक्ष में बढ़ते कदम
गगनयान मिशन भारत के लिए एक ऐतिहासिक मील का पत्थर है। चंद्रयान-3 की सफलता और आदित्य-L1 मिशन के बाद ISRO ने भारत को अंतरिक्ष अनुसंधान में विश्व के शीर्ष देशों में शामिल कर दिया है। गगनयान के साथ भारत अमेरिका, रूस, और चीन के बाद चौथा देश बन जाएगा, जो स्वतंत्र रूप से मानव अंतरिक्ष मिशन संचालित करता है। TIFR का यह प्रयोग न केवल गगनयान के लिए बल्कि मंगलयान-2, चंद्रयान-4, और भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (Bharat Antariksha Station) जैसे भविष्य के मिशनों के लिए भी आधार तैयार करेगा।
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