अल्मोड़ा। उत्तराखंड के प्रतिष्ठित गोविन्द बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान, कोसी-कटारमल, अल्मोड़ा को अब एक अनुभवी और बहुआयामी वैज्ञानिक के नेतृत्व में नई ऊर्जा मिलने जा रही है। संस्थान के नव नियुक्त कार्यकारी निदेशक (प्रभारी) डॉ. आई.डी. भट्ट ने औपचारिक रूप से पदभार ग्रहण कर लिया है। वर्तमान में वे जैव विविधता संरक्षण एवं प्रबंधन केंद्र में वैज्ञानिक-जी एवं केंद्र प्रमुख के रूप में कार्यरत हैं।
टिहरी से टोक्यो तक का सफर
डॉ. आई.डी. भट्ट मूल रूप से ग्राम कांडी, बहेड़ा, जनपद टिहरी गढ़वाल के निवासी हैं। प्रारंभिक शिक्षा टिहरी, पौड़ीखाल और हिन्डोलाखाल में हुई। स्नातक और परास्नातक की शिक्षा हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर से प्राप्त की। वर्ष 2001 में उन्होंने संस्थान के तत्कालीन निदेशक स्व. डॉ. उपेंद्र धर के निर्देशन में “माइरिका एस्कुलेंटा (काफल) की जेनेटिक विविधता एवं बहुगुणन क्षमता” विषय पर पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की। उनका यह शोध कार्य कोसी-कटारमल संस्थान परिसर में ही संपन्न हुआ।
राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान
वर्ष 2002 में भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा ‘यंग साइंटिस्ट अवार्ड’ से सम्मानित किया गया। जापान की JSPS फेलोशिप के तहत टोक्यो में पोस्ट-डॉक्टरल शोधकार्य किया। 2005 में संस्थान में वैज्ञानिक-सी के रूप में नियुक्त हुए और तब से हिमालयी पर्यावरण शोध में संलग्न हैं।
शोध प्रकाशन और वैश्विक योगदान
डॉ. भट्ट ने कार्यभार ग्रहण करते हुए कहा कि वे संस्थान की गौरवशाली परंपराओं को आगे बढ़ाते हुए वैज्ञानिक अनुसंधान, पर्यावरणीय नीति समर्थन और सतत विकास के क्षेत्र में इसे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर और अधिक प्रतिष्ठा दिलाने के लिए सतत प्रयासरत रहेंगे। डॉ. भट्ट के नाम कई उपलब्धियां दर्ज हैं। डॉ. भट्ट के नाम 200 से अधिक शोध पत्र, 10 पुस्तकें, 4 तकनीकी मैनुअल, 2 वृत्तचित्र, 20 से अधिक पीएच.डी. शोधार्थियों का मार्गदर्शन, 35 से अधिक स्नातकोत्तर छात्रों के शोध कार्य दर्ज है। उनके शोध कार्यों को 10,300+ बार उद्धृत किया गया है और उनका H-इंडेक्स 52 है, जो उच्चस्तरीय अनुसंधान की पुष्टि करता है।
वैश्विक स्तर पर पहचान
- स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी (2023) द्वारा विश्व के शीर्ष 2% वैज्ञानिकों में शामिल।
- एल्सेवियर (2024) द्वारा भारत के शीर्ष 2% औषधीय और जैव-आणविक रसायन विज्ञान शोधकर्ताओं में स्थान।
- पादप विज्ञान और कृषि विज्ञान में भारत के प्रमुख वैज्ञानिकों में गिनती।
उन्होंने पुर्तगाल, जापान, अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका, भूटान, थाईलैंड, अर्जेंटीना और कोरिया में भी शोध प्रस्तुतियाँ दी हैं।
हिमालयी पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान
डॉ. भट्ट ने जैव विविधता संरक्षण के तहत हिमालयी जैव विविधता का एकीकृत डेटाबेस, जलवायु परिवर्तन निगरानी, ग्रामीण आजीविका से जुड़ाव, संरक्षण शिक्षा को बढ़ावा देने जैसे कार्यों में उत्कृष्ट योगदान दिया है। कुमाऊं विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (कूटा) और उत्तराखंड विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (यूटा) के अध्यक्ष प्रो. ललित तिवारी और महासचिव डॉ. विजय कुमार ने डॉ. भट्ट को कार्यकारी निदेशक का पदभार ग्रहण करने पर शुभकामनाएं दीं और उम्मीद जताई कि उनके नेतृत्व में संस्थान नई ऊंचाइयों को छुएगा।


शंकर दत्त पांडेय वरिष्ठ पत्रकार हैं और पिछले चार दशक से मीडिया की दुनिया में सक्रिय हैं। Uncut Times के साथ वरिष्ठ सहयोगी के रूप से जुड़े हैं। उत्तराखंड की पत्रकारिता में जीवन का बड़ा हिस्सा बिताया है। कुमाऊं के इतिहास की अच्छी जानकारी रखते हैं। दर्जनों पत्र-पत्रिकाओं में समसामयिक और शोधपरक लेख प्रकाशित। लिखने-पढ़ने और घूमने में रुचि। इनसे SDPandey@uncuttimes.com पर संपर्क कर सकते हैं।
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