Uttarkashi Flood News: धराली क्षेत्र में आई भीषण बाढ़ और भूस्खलन की आपदा के बाद राहत और बचाव कार्य युद्ध स्तर पर जारी हैं। लापता लोगों की तलाश के लिए राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF), राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF), भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP), सेना, पुलिस, फायर सर्विस, और राजस्व विभाग की टीमें दिन-रात जुटी हुई हैं। थर्मल इमेजिंग, विक्टिम लोकेटिंग कैमरे, और खोजी कुत्तों का उपयोग कर मलबे और भारी पत्थरों के नीचे फंसे लोगों की खोजबीन की जा रही है। शुक्रवार शाम तक 257 फंसे हुए लोगों को सुरक्षित निकाला गया, जबकि अब तक कुल 729 से अधिक लोगों को हर्षिल, गंगोत्री, और मातली जैसे क्षेत्रों से सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा चुका है।
52 लोगों को आईटीबीपी मातली शिफ्ट किया
शनिवार को भी सुबह से ही आपदा स्थल पर पुलिस, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, आईटीबीपी, सेना, फायर, राजस्व आदि की टीमें राहत एवं बचाव कार्यों में जुटी हैं। आपदा ग्रस्त क्षेत्र में फंसे लोगों को एयर लिफ्ट करने का सिलसिला निरंतर जारी है। सुबह आठ बजे तक 52 लोगों को आईटीबीपी मातली शिफ्ट किया गया है। राहत कार्यों में तेजी लाने के लिए प्रशासन ने सभी उपलब्ध संसाधनों को तैनात किया है। SDRF और NDRF की टीमें थर्मल इमेजिंग डिवाइस और विक्टिम लोकेटिंग कैमरों की मदद से मलबे में दबे लोगों की तलाश कर रही हैं। खोजी कुत्तों का उपयोग भी संभावित जीवित बचे लोगों का पता लगाने के लिए किया जा रहा है।
प्रशासन की अपील: धैर्य और सावधानी बरतें
उत्तरकाशी जिला प्रशासन और पुलिस ने स्थानीय निवासियों और यात्रियों से धैर्य बनाए रखने और अनावश्यक जोखिम न लेने की अपील की है। आपदा प्रबंधन विभाग ने वैकल्पिक मार्गों का उपयोग करने की सलाह दी है, जैसे कि रानीखेत, लमगड़ा, और शहरफाटक के रास्ते। साथ ही, यात्रा से पहले मार्ग की स्थिति की जानकारी लेने के लिए हेल्पलाइन नंबरों पर संपर्क करने को कहा गया है:
जिला आपदा नियंत्रण कक्ष, उत्तरकाशी: 01374-222126, टोल-फ्री: 1077
SDRF हेल्पलाइन: 9411112787
पुलिस कंट्रोल रूम: 01374-222101
धराली, हर्षिल, और गंगोत्री में चुनौतियां
धराली, हर्षिल, और गंगोत्री जैसे क्षेत्रों के निवासियों को इस आपदा ने सबसे अधिक प्रभावित किया है। स्थानीय व्यापारी, पर्यटक, और तीर्थयात्री गंगोत्री धाम की यात्रा के लिए इस मार्ग का उपयोग करते हैं। सड़कों के बंद होने से पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ा है। स्थानीय निवासी रमेश नेगी ने कहा, “हर साल मानसून में हमें इस तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। सरकार को स्थायी समाधान जैसे रिटेनिंग वॉल और बेहतर सड़क डिजाइन पर काम करना चाहिए।” जिला मजिस्ट्रेट डॉ. मेहरबान सिंह बिष्ट ने कहा, “हमारी टीमें राहत और बचाव कार्यों में पूरी ताकत से जुटी हैं। लोगों से अनुरोध है कि वे बंद मार्गों पर यात्रा करने से बचें और प्रशासन के दिशा-निर्देशों का पालन करें।”


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