Haldwani News : हल्द्वानी आवास विकास कॉलोनी, सुभाष नगर क्षेत्र में देवखड़ी नाले को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। प्रशासन ने इस क्षेत्र के 140 परिवारों को अतिक्रमण हटाने का नोटिस जारी किया है, जिससे स्थानीय निवासियों में आक्रोश और भय का माहौल है। प्रभावित परिवारों का कहना है कि उनके मकान 1980 में आवास विकास परिषद द्वारा विधिवत रूप से आवंटित किए गए थे, और वे पिछले 40 वर्षों से यहां शांतिपूर्ण ढंग से रह रहे हैं। इस मामले में हल्द्वानी विधायक सुमित हृदयेश ने प्रशासन की कार्रवाई को “अमानवीय और असंवेदनशील” बताते हुए कड़ा विरोध जताया है।
अतिक्रमण नोटिस से उपजा विवाद
हल्द्वानी के सुभाष नगर, आवास विकास कॉलोनी में देवखड़ी नाले के आसपास बसे 140 परिवारों को प्रशासन ने अतिक्रमण का हवाला देकर ध्वस्तीकरण नोटिस थमाया है। प्रशासन का दावा है कि इन परिवारों ने नाले के ऊपर अवैध निर्माण किया है, जो जल निकासी और पर्यावरण के लिए खतरा है। वहीं, प्रभावित निवासियों का कहना है कि उनके घरों की छतों से केवल वर्षा जल नाले में गिरता है, और उन्होंने नाले पर कोई निर्माण नहीं किया।
निवासियों ने यह भी बताया कि नगर निगम ने कई वर्षों पहले इस नाले का निर्माण कार्य रोक दिया था, और इसका उपयोग भी बंद हो चुका है। उनका दावा है कि उनके मकान पूरी तरह वैध हैं, और प्रशासन का यह कदम उनके साथ अन्याय है।
विधायक सुमित हृदयेश बोले– सड़क से सदन तक लड़ेंगे
प्रशासन की इस कार्रवाई के खिलाफ हल्द्वानी विधायक सुमित हृदयेश मौके पर पहुंचे और पीड़ित परिवारों से मुलाकात की। उन्होंने स्थानीय निवासियों को भरोसा दिलाया कि वे इस अन्यायपूर्ण कार्रवाई के खिलाफ पूरी मजबूती से उनके साथ खड़े हैं।
“यह सिर्फ दीवारों और छतों की नहीं, इंसानियत, सम्मान और जीवन की लड़ाई है। मैं क्षेत्र की जनता के अधिकारों की रक्षा के लिए सड़क से लेकर सदन तक हर मंच पर आवाज़ उठाऊंगा।” – सुमित हृदयेश
विधायक ने मौके से ही संबंधित अधिकारियों से फोन पर बात कर निवासियों की स्थिति से अवगत कराया और नोटिस को तत्काल निरस्त करने की मांग की। उन्होंने प्रशासन पर जनविरोधी और अमानवीय रवैया अपनाने का आरोप लगाया।
निवासियों का दावा: मकान वैध, नाले का उपयोग बंद
प्रभावित परिवारों ने बताया कि उनके मकान 1980 में उत्तराखंड आवास विकास परिषद द्वारा आवंटित किए गए थे। इन परिवारों का कहना है कि उन्होंने कोई अवैध निर्माण नहीं किया, और उनके घरों की वैधता के दस्तावेज मौजूद हैं। निवासियों ने यह भी आरोप लगाया कि प्रशासन ने बिना उचित जांच-पड़ताल के उन्हें नोटिस थमा दिया।
एक स्थानीय निवासी, गोपाल भट्ट ने कहा,
“हमारे घर पूरी तरह वैध हैं। हमने नाले पर कोई निर्माण नहीं किया। केवल बारिश का पानी हमारी छतों से नाले में जाता है। प्रशासन हमें बिना किसी ठोस सबूत के बेघर करना चाहता है।”
मानसून के कारण लिया गया फैसला
प्रशासन ने दावा किया है कि मानसून सीजन को देखते हुए यह कार्रवाई आवश्यक है। के अनुसार, एसडीएम राहुल शाह ने रक्सिया और देवखड़ी नाले के आसपास अतिक्रमण हटाने के लिए 15 दिनों का समय दिया है। इस दौरान रक्सिया में 386 और देवखड़ी में 206 लोगों को नोटिस जारी किए गए हैं। प्रशासन का कहना है कि नाले में अतिक्रमण के कारण जलभराव और अन्य समस्याएं हो सकती हैं, जिसे रोकने के लिए यह कदम उठाया गया है।
स्थानीय लोगों में गुस्सा, समर्थन में जुटे लोग
इस घटनाक्रम से क्षेत्र में भारी तनाव है। स्थानीय निवासी और समाजसेवी बड़ी संख्या में एकजुट होकर विरोध जता रहे हैं। लोगों का कहना है कि वर्षों पुरानी बस्ती को अचानक अवैध बताना न केवल प्रशासन की गलती है, बल्कि इससे सैकड़ों लोगों की रोजी-रोटी और जीवन प्रभावित हो जाएगा। इस विरोध प्रदर्शन और बैठक में गोपाल भट्ट, गुरुप्रीत प्रिंस, हर्षित भट्ट, सुरेश किरौला, धीरज जोशी, तरुण सुयाल, जगमोहन सिंह, प्रकाश कन्याल, कमल कालाकोटि, अर्जुन सिंह, प्रिंस आहूजा, हरबंस सिंह, मधुकर बनौला, देवकी देवी, हेमा जोशी, तारा जोशी, नीमा, प्रेमा रावत जैसे स्थानीय नागरिक भी मौजूद रहे।
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