देहरादून घंटाघर : और बेहतर होगी राजधानी की धड़कन

देहरादून घंटाघर और बेहतर होगी राजधानी की धड़कन

Uttarakhand News : ऐतिहासिक देहरादून घंटाघर, जो शहर की पहचान और दिल की धड़कन माना जाता है, अब नए भव्य रूप में नज़र आने वाला है। शहरवासियों के लिए यह सिर्फ एक चौराहा नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर का प्रतीक है। वर्तमान में यहां सौंदर्यीकरण और विकास कार्य तीव्र गति से चल रहा है, जिससे यह स्थल आधुनिक सुविधाओं और पारंपरिक शैली का खूबसूरत मेल बनकर उभरेगा।

यह भी पढ़ें : अल्मोड़ा हल्द्वानी रोड : क्वारब में टूटी सड़क बवाल-ए-जान

पारंपरिक लोक शैली में होगा विकास

घंटाघर के चारों ओर का क्षेत्र अब पारंपरिक गढ़वाली और कुमाऊंनी वास्तुशिल्प को ध्यान में रखते हुए संवारा जा रहा है। चौराहे के सौंदर्यीकरण से न केवल शहर की खूबसूरती बढ़ेगी, बल्कि यह स्थल पर्यटकों को उत्तराखंड की लोक संस्कृति और विरासत की झलक भी देगा। निर्माण कार्य पूरा होने के बाद घंटाघर एक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित होगा। इसकी भव्यता और रात्रि प्रकाश व्यवस्था से यह स्थान शाम के समय भी जीवंत दिखाई देगा। स्थानीय व्यापारियों और दुकानदारों को भी इससे लाभ मिलने की उम्मीद है, क्योंकि क्षेत्र में लोगों की आवाजाही बढ़ेगी।

यातायात होगा अधिक सुगम

नए डिज़ाइन के तहत घंटाघर चौक को ऐसा स्वरूप दिया जा रहा है जिससे यातायात संचालन और पैदल आवागमन दोनों आसान हो सकें। चौक पर भीड़भाड़ को नियंत्रित करने के लिए मार्गों का पुनर्गठन किया जा रहा है, जिससे शहरवासियों को सुविधा मिलेगी।  सौंदर्यीकरण के साथ-साथ इस बात का भी ध्यान रखा गया है कि विकसित ढांचे का उचित रखरखाव हो। योजना में साफ-सफाई, हरियाली और नियमित देखरेख के प्रावधान भी शामिल हैं, ताकि घंटाघर की सुंदरता दीर्घकाल तक बनी रहे।

यह भी पढ़ें : उत्तराखंड चारधाम यात्रा 2025 की गाइडलाइन जारी, यहां देखें

देहरादून घंटाघर का ऐतिहासिक महत्व

देहरादून का घंटाघर, जिसका शिलान्यास 24 जुलाई 1948 को तत्कालीन राज्यपाल सरोजनी नायडू ने किया था, शहर की पहचान का प्रतीक है। 1953 में तत्कालीन यातायात मंत्री लाल बहादुर शास्त्री द्वारा देहरादून घंटाघर का उद्घाटन किया गया। इसकी सबसे खास विशेषता है इसकी छह घड़ियां, जो इसे एशिया में अपनी तरह का दुर्लभ घंटाघर बनाती हैं। यह स्मारक ईंटों और पत्थरों से बना है, जिसमें छह प्रवेश द्वार और एक गोलाकार सीढ़ी है, जो इसे और भी अनूठा बनाती है।

क्या आप जानते हैं? देहरादून घंटाघर अपनी छह घड़ियों के कारण एशिया में अद्वितीय है, जबकि अंग्रेजों द्वारा बनाए गए अधिकांश घंटाघरों में दो या चार घड़ियां होती थीं।

जिलाधिकारी सविन बंसल की पहल

जिलाधिकारी सविन बंसल ने देहरादून घंटाघर में बदलाव की पहल की है। सविन बंसल ने अपने कार्यकाल के दूसरे महीने में ही घंटाघर और अन्य चौक-चौराहों के सौंदर्यीकरण के लिए डिजाइन, सर्वे, और कॉन्सेप्ट तैयार कर लिया था। उन्होंने स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत उपलब्ध धनराशि का उपयोग करते हुए बजट का प्रबंधन किया और कार्य शुरू करवाया। इस परियोजना में निर्माण के साथ-साथ रखरखाव की योजना भी शामिल है, जिसकी वे स्वयं निरंतर मॉनिटरिंग कर रहे हैं।

यह भी पढ़ें : उत्तराखंड में तबादलों पर सवाल : एक डॉक्टर लाचार, दूसरी जबरन ट्रांसफर की शिकार

देहरादून घंटाघर को क्यों बदला जा रहा

घंटाघर पुनर्विकास परियोजना का मुख्य उद्देश्य ऐतिहासिक देहरादून घंटाघर को संरक्षित करते हुए इसे आधुनिकता और उत्तराखंड की लोक परंपराओं के साथ जोड़ना है। इस प्रोजेक्ट के तहत निम्नलिखित कार्य किए जा रहे हैं:

  • संरचनात्मक मजबूती: घंटाघर की पुरानी संरचना को मजबूत करने के लिए विशेषज्ञों की देखरेख में काम चल रहा है।
  • आधुनिक सुविधाएं: बेहतर प्रकाश व्यवस्था, बैठने की व्यवस्था, और पर्यटकों के लिए सूचना केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं।
  • सौंदर्यीकरण: घंटाघर के आसपास हरियाली बढ़ाने और उत्तराखंड की पारंपरिक शैली में लैंडस्केपिंग की जा रही है।
  • यातायात सुगमता: घंटाघर चौक को आधुनिक और यातायात के लिए सुगम बनाने के लिए स्मार्ट ट्रैफिक सिस्टम लागू किया जा रहा है।

विशेषता: देहरादून घंटाघर चौक का सौंदर्यीकरण उत्तराखंड की लोक संस्कृति और परंपराओं को दर्शाएगा, जो पर्यटकों को राज्य की समृद्ध विरासत से रूबरू कराएगा।

शहरवासियों और पर्यटकों के लिए लाभ

देहरादून घंटाघर के पुनर्विकास से देहरादून के स्थानीय निवासियों और पर्यटकों को कई लाभ होंगे। यह प्रोजेक्ट यातायात संचालन को सुगम बनाएगा, जिससे घंटाघर चौक पर ट्रैफिक जाम की समस्या कम होगी। इसके साथ ही, घंटाघर का भव्य स्वरूप और उत्तराखंड की पारंपरिक शैली में विकसित छवि पर्यटकों को आकर्षित करेगी, जिससे राज्य की लोक संस्कृति और परंपराओं का प्रचार होगा। स्थानीय व्यापारियों को भी पर्यटकों की बढ़ती संख्या से लाभ होने की उम्मीद है।

यह भी पढ़ें : देहरादून से दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, अहमदाबाद के लिए फ्लाइट

नागरिकों की राय

देहरादून घंटाघर न केवल एक स्मारक है, बल्कि शहर की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर का प्रतीक है। यह प्रोजेक्ट निश्चित रूप से देहरादून को पर्यटन के नक्शे पर और भी प्रमुखता देगा, साथ ही यातायात सुगमता और लोक संस्कृति के प्रचार में महत्वपूर्ण योगदान देगा। देहरादून के नागरिक इस परियोजना को लेकर उत्साहित हैं। स्थानीय निवासी रमेश जोशी कहते हैं, “घंटाघर हमारी पहचान है। इसके पुनर्विकास से न केवल यह और सुंदर होगा, बल्कि हमारे शहर को भी एक नई पहचान मिलेगी।” कुछ लोग यह भी चाहते हैं कि इस प्रोजेक्ट में स्थानीय समुदाय की राय को और अधिक शामिल किया जाए ताकि यह सभी के लिए उपयोगी हो।

उत्तराखंड की लेटेस्ट अपडेट न्यूज के लिए जुड़े रहें Uncuttimes.com से!

Pankaj Joshi senior Jounalist

पंकज जोशी हिंदी पत्रकारिता का जाना पहचाना नाम हैं। बिजनेस, ऑटो, टेक और आर्थिक मामलों के जानकार है। लगभग 25 वर्षों से विभिन्न संस्थानों में सेवाएं दे चुके हें। विभिन्न विषयों पर कई पुस्तकें प्रकाशित। कई मीडिया शो और इंटरव्यू के जरिए दुनियाभर में अपनी पहचान बना चुके हैं। UNCUT TIMES के वरिष्ठ सहयोगी के रूप में टीम का मार्गदर्शन कर रहे हैं। इनसे pankajjoshi@uncuttimes.com पर संपर्क किया जा सकता है।


Discover more from Uncut Times - ब्रेकिंग न्यूज, फैक्ट चेक, विश्लेषण

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Scroll to Top