अंकिता भंडारी हत्याकांड : फैसला हुआ, इंसाफ बाकी? वीवीआईपी कौन- जिसे चाहिए ‘एक्स्ट्रा सर्विस’?

अंकिता भंडारी हत्याकांड : फैसला हुआ, इंसाफ बाकी? वीवीआईपी कौन- जिसे चाहिए 'एक्स्ट्रा सर्विस'?

Uttarakhand News (सुभाष भट्ट) : उत्तराखंड के बहुचर्चित अंकिता भंडारी हत्याकांड में अदालत का फैसला आ चुका है। मुख्य आरोपी पुलकित आर्य समेत तीनों दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई लेकिन कई सवाल अभी बाकी हैं। आखिर वह वीवीआईपी कौन था, जिसके लिए अंकिता से ‘एक्स्ट्रा सर्विस’ की मांग की गई थी? क्या वाकई न्याय हो गया या अब असली लड़ाई उस वीवीआईपी चेहरे को बेनकाब करने की है, जो अब भी व्यवस्था की परछाइयों में छिपा बैठा है? कुछ सामाजिक संगठनाें का मानना है कि वास्तविक न्याय तब होगा जब उस वीआईपी का नाम सामने आए और उस पर भी कार्रवाई हो।

अंकिता भंडारी हत्याकांड से उभरे सवाल

सितंबर 2022 में ऋषिकेश के वनन्तरा रिसॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट अंकिता भंडारी की हत्या केवल एक आपराधिक मामला नहीं था, बल्कि एक ऐसा झटका था जिसने समाज, सरकार और पुलिस प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े किए। मुख्य आरोपी पुलकित आर्य, पूर्व भाजपा नेता विनोद आर्य का बेटा है। अंकिता ने ‘एक्स्ट्रा सर्विस’ देने से इनकार किया, जिसके बाद उसे चिल्ला नहर में धकेलकर मार दिया गया। लेकिन इस ‘एक्स्ट्रा सर्विस’ की मांग आखिर किसके लिए की जा रही थी? क्या उस वीवीआईपी तक जांच पहुंच पाई?

साधारण लड़की की असाधारण त्रासदी

उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के डोभ-श्रीकोट गांव से ताल्लुक रखने वाली अंकिता एक गरीब परिवार की मेहनती बेटी थी। होटल मैनेजमेंट में कोर्स कर रही थी, लेकिन पिता की नौकरी छूटने के बाद पढ़ाई छोड़नी पड़ी। परिवार की मदद के लिए उसने वनन्तरा रिसॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट की नौकरी की और यही उसकी जिंदगी की आखिरी मंज़िल साबित हुई।

वनन्तरा रिसॉर्ट का रहस्य क्या?

अंकिता को रिसॉर्ट में काम करते एक महीना भी नहीं हुआ था कि उस पर ‘वीवीआईपी गेस्ट’ को ‘स्पेशल सर्विस’ देने का दबाव डाला जाने लगा। उसने इस बात को अपने दोस्तों के साथ साझा किया। व्हाट्सएप चैट्स में उसने लिखा – “क्या मैं गरीब हूं इसलिए ₹10,000 के लिए खुद को बेच दूं?” इन मैसेजों से साफ था कि रिसॉर्ट में सेक्स रैकेट जैसी अवैध गतिविधियों की आशंका थी, जिसे लेकर अंकिता अंदर से घुट रही थी। जब उसने विरोध किया, तो उसकी हत्या कर दी गई। पूर्व कर्मचारियों ने गवाही दी कि वनंतरा रिजॉर्ट में वेश्यावृत्ति और अन्य अवैध गतिविधियां चल रही थीं। कर्मचारियों, विशेषकर महिलाओं, के साथ दुर्व्यवहार आम था। रिजॉर्ट के मालिक और उनके सहयोगी कर्मचारियों पर छोटी-छोटी गलतियों के लिए शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न करते थे।

बचने की कोशिश नाकामयाब

17-18 सितंबर 2022 की रात, जब अंकिता ने बाहर निकलने की कोशिश की और मदद की गुहार लगाई, तब आरोपियों ने उसे कमरे में बंद कर दिया। एक कर्मचारी, अभिनव, ने बताया कि उसने पुलकित को अंकिता का मुंह ढंकते हुए देखा ताकि वह फोन पर बात न कर सके। अंकिता उस समय रो रही थी और मदद की गुहार लगा रही थी। रात में बहाने से उसे स्कूटर पर लेकर बाहर निकाला गया और चिल्ला नहर के पास बहस के बाद उसे धक्का दे दिया गया। यह एक सोची-समझी साजिश थी, न कि कोई तात्कालिक गुस्से का मामला।

पुलिस पर भी उठे सवाल

18 सितंबर 2022 को अंकिता ने अपने माता-पिता के फोन कॉल का जवाब देना बंद कर दिया। उनके दोस्त पुष्प को संदेह हुआ, क्योंकि अंकिता ने पहले उत्पीड़न की शिकायत की थी। हैरानी की बात यह है कि 19 सितंबर 2022 को पुलकित आर्य ने खुद लापता व्यक्ति की शिकायत दर्ज की, जो जांच को भटकाने का प्रयास प्रतीत होता है। अंकिता के पिता को FIR दर्ज करने में कई बाधाओं का सामना करना पड़ा। पौड़ी, मुनि की रेती, और ऋषिकेश पुलिस स्टेशनों ने क्षेत्राधिकार के मुद्दों का हवाला देकर उन्हें टरकाया। पटवारी प्रणाली के तहत जांच की जिम्मेदारी राजस्व पुलिस की थी, लेकिन जिम्मेदार पटवारी वैभव प्रताप छुट्टी पर चले गए। बाद में उन्हें लापरवाही और संदिग्ध मिलीभगत के लिए निलंबित और गिरफ्तार किया गया। 24 सितंबर 2022 को, उत्तराखंड पुलिस और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल ने चिल्ला नहर के बैराज से अंकिता का शव बरामद किया।

एसआईटी जांच और कोर्ट का फैसला

जन दबाव के बाद डीआईजी पी. रेणुका देवी की अध्यक्षता में एसआईटी बनी। दिसंबर 2022 में एसआईटी ने 500 पन्नों का आरोप पत्र दाखिल किया, जिसमें 47 गवाहों के बयान, अंकिता की व्हाट्सएप चैट, और सीसीटीवी फुटेज शामिल थे। ये साक्ष्य इस बात की पुष्टि करते हैं कि अंकिता पर ‘एक्स्ट्रा सर्विस’ के लिए दबाव डाला गया। उसने मना किया तो उसे धमकाया गया। अंततः तीनों आरोपियों ने उसे मार डाला। 30 मई 2025 को कोर्ट ने पुलकित आर्य, सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता को उम्रकैद की सजा सुनाई, साथ ही ₹50,000 का जुर्माना भी लगाया गया।

यहां देखें : अंकिता भंडारी हत्याकांड में तीनों आरोपी दोषी, उम्रकैद की सजा

लेकिन सवाल अब भी जिंदा हैं…

1. कौन था वह वीआईपी?

कोटद्वार की निचली अदालत ने सबूतों के आधार पर तीन आरोपियों को सजा सुना दी है। लेकिन, इस केस में सबसे बड़ा अनुत्तरित सवाल है कि वह वीआईपी कौन था, जिसके लिए अंकिता से ‘विशेष सेवा’ की मांग की जा रही थी? क्या वह किसी बड़े राजनीतिक रसूख वाला व्यक्ति था? क्या उसके नाम का खुलासा जानबूझकर नहीं किया गया? क्या जांच एजेंसियों ने इस दिशा में गंभीरता से काम किया? ऐसे में, अंकिता भंडारी को इंसाफ मिला – या शायद नहीं। इस पर अलग अलग राय हो सकती है। तीनों आरोपियों को उम्रकैद मिली, लेकिन असली मास्टरमाइंड, वह वीवीआईपी अब भी अंधेरे में है।

2. रिसॉर्ट के विध्वंस की जल्दी क्यों?

अपराध उजागर होने के बाद सरकार ने वनन्तरा रिसॉर्ट को बुलडोजर से ढहा दिया। लेकिन यह कदम विवादास्पद रहा क्योंकि इससे महत्वपूर्ण सबूत नष्ट होने की संभावना जताई गई। इसे न्याय के बजाय राजनीतिक ‘इमेज क्लीनअप’ माना गया। केस के वीआईपी लिंक को छुपाने का आरोप भी इसी कदम से जुड़ा।

3. पटवारी प्रणाली पर भी सवाल

पटवारी प्रणाली की खामियों ने इस मामले में जांच में देरी की। विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी ने राजस्व पुलिस को नियमित पुलिस से बदलने की मांग की। क्या आगे चलकर इस पर कदम उठाए जाएंगे?

4. सिस्टम ने क्या सीखा?

सरकार ने 2023 में अंकिता के नाम पर नर्सिंग कॉलेज स्थापित करने की घोषणा की थी, जो अभी तक पूरी नहीं हुई है। यह अधूरा वादा अंकिता के परिवार और जनता के लिए निराशा का कारण बना हुआ है। अंकिता का मामला कार्यस्थल पर महिलाओं की सुरक्षा, पुलिस सुधार, और राजनीतिक जवाबदेही जैसे मुद्दों पर राष्ट्रीय बहस का प्रतीक बन गया है।

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