अल्मोड़ा : अल्मोड़ा-हल्द्वानी हाईवे (एनएच-109) क्वारब के पास लगातार भूस्खलन की समस्या से जूझ रहा है। इस जगह पर मंगलवार से लेकर अगले 16 दिन के लिए रात 11 बजे से सुबह 5 बजे तक हल्के और भारी वाहनों के संचालन पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया है। यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय प्रशासन और जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने लिया है।
मलबा गिरना जारी, 200 मीटर भूस्खलन जोन
एनएच पर क्वारब पुल के पास पिछले तीन दिनों से रुक-रुककर मलबा और पत्थर गिरने की घटनाएं हो रही हैं। इसके चलते यह मार्ग पूरी तरह असुरक्षित हो गया है। बार-बार मलबा हटाकर वाहन गुजारे जा रहे हैं। लगभग 200 मीटर लंबा भूस्खलन जोन बन चुका है, जहां से मलबा और बोल्डर लगातार सड़क पर गिर रहे हैं। जिलाधिकारी एवं जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण अध्यक्ष आलोक कुमार पांडेय ने बताया कि सड़क को सुरक्षित बनाने के लिए पोकलेन, जेसीबी और टिप्पर मशीनों से कटिंग का कार्य जारी है। सड़कों की मरम्मत के साथ ही सोलिंग और स्थायित्व कार्य भी किया जा रहा है ताकि यातायात जल्द सुगम हो सके।
आपात सेवाएं प्रतिबंध से मुक्त
रात के समय लगने वाले इस प्रतिबंध से एम्बुलेंस, क्रेन और आवश्यक सेवाओं में प्रयुक्त वाहनों को छूट दी गई है। हालांकि, किसी भी सड़क दुर्घटना या आपात स्थिति में स्थानीय थाना या चौकी प्रभारी पूरी तरह जिम्मेदार माने जाएंगे। यदि किसी वाहन को इस प्रतिबंधित अवधि में आवश्यक रूप से यात्रा करनी हो, तो उस स्थिति में संबंधित क्षेत्र के एसडीएम, सीओ और जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी से अनुमति प्राप्त करनी होगी।
इन वैकल्पिक मार्ग से जा सकते हैं
रानीखेत मार्ग: हल्द्वानी से अल्मोड़ा जाने वाले वाहन रानीखेत और खैरना के रास्ते जा सकते हैं। यह मार्ग लंबा है, जिससे यात्रा समय और लागत बढ़ सकती है।
भवाली-रामगढ़ मार्ग: भवाली से रामगढ़ होते हुए अल्मोड़ा पहुंचा जा सकता है। यह मार्ग भी अपेक्षाकृत लंबा है, लेकिन सुरक्षित विकल्प है।
डोबाचौसली मार्ग: प्रशासन ने डोबाचौसली में वैकल्पिक मार्ग के निर्माण की योजना बनाई है, जिसका काम जल्द शुरू होने की उम्मीद है।
यात्रियों के लिए सुझाव
यात्रा की योजना बनाएं: रात 11 बजे से सुबह 5 बजे तक प्रतिबंध को ध्यान में रखकर दिन के समय यात्रा करें।
वैकल्पिक मार्ग: रानीखेत या भवाली के रास्ते का उपयोग करें और अतिरिक्त समय का ध्यान रखें।
सुरक्षा: पहाड़ी क्षेत्रों में रात की यात्रा से बचें और स्थानीय प्रशासन के अपडेट्स फॉलो करें।
सोशल मीडिया अपडेट: @almorapolice के आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल पर ट्रैफिक अपडेट देखें।
इस तरह परेशान हो रहे लोग
यात्रियों की परेशानी: अल्मोड़ा, बागेश्वर, पिथौरागढ़, और रानीखेत के निवासियों को हल्द्वानी और अन्य मैदानी क्षेत्रों तक पहुंचने में अतिरिक्त समय और लागत वहन करनी पड़ रही है।
पर्यटन पर असर: कैंची धाम, कौसानी, और रानीखेत जैसे पर्यटन स्थलों पर जाने वाले पर्यटकों की संख्या में कमी आ रही है।
स्वास्थ्य सेवाएं: आपातकालीन स्थिति में मरीजों को हल्द्वानी के अस्पतालों तक पहुंचने में देरी हो रही है।
परिवहन लागत: वैकल्पिक मार्गों के उपयोग से परिवहन लागत में 100-400 रुपये की वृद्धि हुई है।
रेस्तरां और दुकानें: क्वारब के आसपास के रेस्तरां और दुकानों का कारोबार प्रभावित हुआ है।
- बाजार प्रभावित: अल्मोड़ा और आसपास के बाजारों में फल, सब्जी, और राशन की आपूर्ति बाधित हो रही है, जिससे कीमतें बढ़ रही हैं।
व्यापारियों को हो रहा नुकसान
क्वारब क्षेत्र में पहाड़ी दरकने और निकटवर्ती कैंची धाम मार्ग पर जाम के चलते व्यापारी भी परेशान हैं। अल्मोड़ा के व्यापारियों ने अपनी समस्याएं साझा की हैं। एनटीडी के भुवन तिवारी ने बताया कि “भूस्खलन के कारण सामान की डिलीवरी में देरी हो रही है। कई बार ऑर्डर रद्द हो जाते हैं, जिससे नुकसान बढ़ रहा है। प्रशासन को स्थायी समाधान निकालना चाहिए।” चौक बाजार के गिरीश धवन कहते हैं, “क्वारब में दरकी पहाड़ी और कैंची में लगने वाले जाम के कारण सामान समय पर नहीं पहुंच पा रहा। दूध और अन्य खराब होने वाले पदार्थ नष्ट हो रहे हैं, जिससे आर्थिक नुकसान हो रहा है। बारिश का मौसम नजदीक है, इसलिए पक्का समाधान जरूरी है।”
दीर्घकालिक समाधान की आवश्यकता
क्वारब में बार-बार होने वाले भूस्खलन ने अल्मोड़ा-हल्द्वानी एनएच की स्थिति पर सवाल उठाए हैं। विशेषज्ञों और स्थानीय लोगों का मानना है कि अस्थायी मरम्मत कार्यों के बजाय स्थायी समाधान की जरूरत है। इसके लिए पहाड़ी की अस्थिरता और भूस्खलन के कारणों का गहन अध्ययन किया जाए। सड़क के किनारे रिटेनिंग वॉल, गैबियन वॉल, और ड्रेनेज सिस्टम और बेहतर बनाए जाएं। डोबाचौसली जैसे वैकल्पिक मार्गों का निर्माण तेजी से पूरा किया जाए। इसके अलावा, भूस्खलन को रोकने के लिए पहाड़ी पर वृक्षारोपण और घास की खेती को बढ़ावा दिया जाए।


शंकर दत्त पांडेय वरिष्ठ पत्रकार हैं और पिछले चार दशक से मीडिया की दुनिया में सक्रिय हैं। Uncut Times के साथ वरिष्ठ सहयोगी के रूप से जुड़े हैं। उत्तराखंड की पत्रकारिता में जीवन का बड़ा हिस्सा बिताया है। कुमाऊं के इतिहास की अच्छी जानकारी रखते हैं। दर्जनों पत्र-पत्रिकाओं में समसामयिक और शोधपरक लेख प्रकाशित। लिखने-पढ़ने और घूमने में रुचि। इनसे SDPandey@uncuttimes.com पर संपर्क कर सकते हैं।
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