अल्मोड़ा : अल्मोड़ा शहर में ड्रेनेज सिस्टम को सुधारने के लिए तीन साल पहले स्वीकृत 19.76 करोड़ रुपये की योजना आज भी अधूरी पड़ी है। इस महत्वाकांक्षी योजना के तहत शहर में 39 नालों का निर्माण होना था, लेकिन तीन साल बाद भी केवल 11 नाले ही बन पाए हैं। 12 नालों का निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ है, जबकि 16 नालों पर निर्माण की प्रगति बेहद धीमी है। इस देरी के कारण बारिश के मौसम में जलभराव की समस्या से स्थानीय लोगों को जूझना पड़ रहा है, और आवासीय भवनों को नुकसान का खतरा बना हुआ है।
क्या है ड्रेनेज योजना का पूरा मामला?
अल्मोड़ा, एक प्राचीन और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध शहर, लंबे समय से अपर्याप्त ड्रेनेज सिस्टम की समस्या से जूझ रहा है। वर्ष 2010 और 2013 की आपदाओं में शहर के कई हिस्सों में भारी नुकसान हुआ था, जिसके बाद ड्रेनेज सिस्टम को दुरुस्त करने की मांग तेज हुई। इस समस्या के समाधान के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 2022 में 19.76 करोड़ रुपये की लागत से 39 नालों के निर्माण की योजना को मंजूरी दी थी। इसके लिए सिंचाई विभाग को 18.13 करोड़ रुपये और जल संस्थान को पुराने नालों से पेयजल लाइनों को शिफ्ट करने के लिए 1.62 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे।
3 साल में क्या हुआ?
स्थिति | संख्या | विवरण |
---|---|---|
पूर्ण हुए नाले | 11 | इनका निर्माण कार्य पूरा हो चुका है |
आंशिक रूप से बने नाले | 16 | 60% काम हुआ है |
जहां कार्य शुरू नहीं हुआ | 12 | पेयजल लाइन शिफ्ट न होने के कारण |
काम में देरी की बड़ी वजहें
योजना को मंजूरी और बजट आवंटन के बावजूद, तीन साल बाद भी प्रगति निराशाजनक रही है। अब तक केवल 11 नाले पूर्ण हो पाए हैं, जबकि 16 नालों पर निर्माण कार्य 50-60% ही पूरा हुआ है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि 12 नालों पर काम शुरू ही नहीं हो सका है। इस देरी के प्रमुख कारण हैं:
- पेयजल लाइनों का शिफ्ट न होना: जल संस्थान को 1.62 करोड़ रुपये दिए गए थे ताकि पुराने नालों से होकर गुजर रही पेयजल लाइनों को शिफ्ट किया जा सके। लेकिन जल संस्थान ने अब तक यह कार्य पूरा नहीं किया, जिसके कारण 12 नालों का निर्माण कार्य शुरू नहीं हो सका।
- धीमी प्रगति: 16 नालों पर निर्माण कार्य चल रहा है, लेकिन यह केवल 50-60% ही पूरा हुआ है। बारिश के मौसम के करीब आने के बावजूद कार्य की गति में कोई खास सुधार नहीं दिख रहा।
सिर्फ 11 नाले बन सके
अल्मोड़ा एक ऐतिहासिक और पहाड़ी भूगोल वाला नगर है, जिसकी घनी बसावट और ढलानदार इलाके जल निकासी को चुनौतीपूर्ण बनाते हैं। 2010 और 2013 की आपदाओं में जल निकासी की कमी के कारण भारी नुकसान हुआ था। इस पृष्ठभूमि में यह योजना शुरू की गई थी। सिंचाई विभाग के कार्यकारी अभियंता मोहन सिंह रावत ने कहा, “11 नाले तैयार हो चुके हैं। शेष 16 पर 50 फीसदी काम हो गया है। बचा काम भी जल्द पूरा कर लिया जाएगा। पेयजल लाइन शिफ्ट होने के बाद ही बाकी 12 नालों पर काम शुरू हो सकता है।”
जलभराव की समस्या और जनता की परेशानी
अल्मोड़ा का ड्रेनेज सिस्टम लंबे समय से खराब हालत में है। अपर्याप्त नालों और अनुचित जल निकासी के कारण बारिश के मौसम में शहर के कई हिस्सों में जलभराव की समस्या आम है। यह न केवल आवागमन को प्रभावित करता है, बल्कि आवासीय भवनों, दुकानों, और अन्य संपत्तियों को भी नुकसान पहुंचाता है। 2010 और 2013 की आपदाओं में जलभराव के कारण बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ था, जिसके बाद इस योजना को लागू करने की जरूरत महसूस की गई थी।


शंकर दत्त पांडेय वरिष्ठ पत्रकार हैं और पिछले चार दशक से मीडिया की दुनिया में सक्रिय हैं। Uncut Times के साथ वरिष्ठ सहयोगी के रूप से जुड़े हैं। उत्तराखंड की पत्रकारिता में जीवन का बड़ा हिस्सा बिताया है। कुमाऊं के इतिहास की अच्छी जानकारी रखते हैं। दर्जनों पत्र-पत्रिकाओं में समसामयिक और शोधपरक लेख प्रकाशित। लिखने-पढ़ने और घूमने में रुचि। इनसे SDPandey@uncuttimes.com पर संपर्क कर सकते हैं।
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