बाल विज्ञान मेले का दूसरा दिन : बच्चों ने सीखा नाटक, निबंध का विज्ञान

बाल विज्ञान मेले का दूसरा दिन: बच्चों ने सीखा नाटक, निबंध का विज्ञान

अल्मोड़ा। बालप्रहरी, बालसाहित्य संस्थान, और भारत ज्ञान विज्ञान समिति के संयुक्त तत्वावधान में चल रहे बाल विज्ञान मेले के दूसरे दिन बच्चों में रचनात्मक ऊर्जा और वैज्ञानिक सोच का अनूठा संगम देखने को मिला। 23 जून से 27 जून 2025 तक चल रहे इस मेले में बच्चों ने अपनी प्रतिभा के अनेक आयाम प्रस्तुत किए।

बच्चों ने खुद लिखा नुक्कड़ नाटक का संवाद

मेले के दूसरे दिन का मुख्य आकर्षण रहा नुक्कड़ नाटक की रिहर्सल, जिसके लिए बच्चों ने अपने संवाद स्वयं तैयार किए। इस क्रिया ने बच्चों में आत्मविश्वास, प्रस्तुतीकरण और सामाजिक विषयों की समझ को बढ़ावा दिया। आज के अध्यक्ष मंडल में यशपाल सिंह शीला और मनीषा रौतेला को शामिल किया गया।

प्रतियोगिताओं में बच्चों ने दिखाया हुनर

दिनभर की गतिविधियों में शब्द लेखन, पहाड़ा लिखो प्रतियोगिता, स्मृति चित्रण प्रतियोगिता और खेल प्रतियोगिताएं शामिल रहीं। इन प्रतियोगिताओं में यशस्वी जोशी, हिमांशी रौतेला, हिमानी गुसाई और कृति जोशी को उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए बालसाहित्य पुरस्कार से नवाजा गया। बच्चों को आज “तोता कहता है”, “बच्चे से बच्चा”, “नेताजी की खोज”, “पिज़्ज़ा हट”, “एक दो तीन” जैसे शैक्षिक खेलों से जोड़ा गया, जिससे मनोरंजन के साथ-साथ सीखने की प्रक्रिया को भी बल मिला।

कविता पाठ और रचनात्मक लेखन

मेले में दर्शन सिंह गुसाई, तनुज पांडे, सुरेंद्र सिंह शीला, हितार्थ पांडे जैसे बच्चों ने अपनी स्वरचित कविताएं सुनाईं। इसके अतिरिक्त बच्चों ने “मेरा गांव”, “मोबाइल”, “फूल”, “कंप्यूटर”, “बादल”, “कूड़ेदान”, “बेटी बचाओ”, “इंद्रधनुष” जैसे विषयों पर स्वतंत्र कविता लेखन किया। बच्चों ने पहले दिए गए शब्दों और फिर दूसरे सत्र में स्वतः चुने गए शब्दों के आधार पर कविता तैयार की। यह अभ्यास शब्द चयन, कल्पनाशीलता और भाव अभिव्यक्ति में सहायक रहा।

निबंध लेखन की बारीकियां बताईं

बालप्रहरी के संपादक उदय किरौला ने बच्चों को निबंध लेखन की बारीकियां सिखाईं। उन्होंने बताया कि ‘निबंध’ का तात्पर्य ही “बिना बंधन के लेखन” है। उदय किरौला ने “पैन” विषय पर उदाहरण देते हुए बताया कि किसी भी विषय पर निबंध लिखते समय उसकी पृष्ठभूमि, आकार-प्रकार, उपयोगिता, लाभ-हानि और अंत में उपसंहार कैसे लिखा जाए। बच्चों ने इसके बाद “मेरा गाँव”, “मेरा स्कूल”, “मेरे सपनों का अल्मोड़ा” जैसे विषयों पर निबंध तैयार किए।

शिक्षकों ने किया मार्गदर्शन

आज के विविध सत्रों में बच्चों को मार्गदर्शन देने के लिए उदय किरौला, नीरज पंत, प्रमोद तिवारी, भगवती गुसाई, डॉ. चंद्र कला वर्मा, कृपाल सिंह शीला और मनोज जोशी ने बाल कवि सम्मेलन, नुक्कड़ नाटक, समूह गीत आदि गतिविधियों में संदर्भदाता की भूमिका निभाई। डॉ. चंद्र कला वर्मा (प्रधानाचार्य, राजकीय इंटर कॉलेज बसर) ने विज्ञान और तर्कशील सोच के महत्व पर बल देते हुए कहा कि आज के युग में भी समाज में अंधविश्वास और कुरीतियां व्याप्त हैं। इससे निपटने के लिए बचपन से ही वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास आवश्यक है।

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