अल्मोड़ा बाल विज्ञान मेला : बच्चों में वैज्ञानिक सोच विकसित करने पर जोर

अल्मोड़ा। रैमजे इंटर कॉलेज में चल रहे 5 दिवसीय बाल विज्ञान मेले के चौथे दिन बच्चों ने न केवल विज्ञान की बुनियादी अवधारणाओं को समझा बल्कि वैज्ञानिक सोच, प्रयोग, बाल अधिकार और लेखन कला जैसी विभिन्न गतिविधियों में भी सक्रिय भागीदारी निभाई। बालप्रहरी, बालसाहित्य संस्थान और भारत ज्ञान विज्ञान समिति के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस आयोजन का उद्देश्य बच्चों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और सामाजिक जागरूकता को विकसित करना है।

सरल प्रयोग से सीखी वैज्ञानिक सोच

कार्यक्रम की शुरुआत नीरज पंत (पूर्व प्रधानाचार्य व राज्य सचिव, भारत ज्ञान विज्ञान समिति) द्वारा वैज्ञानिक सोच की अवधारणाओं से हुई। उन्होंने बच्चों से संवाद करते हुए कहा, “भूत-प्रेत जैसी बातें आंख मूंदकर मानना अंधविश्वास है। विज्ञान हमें सिखाता है – पहले जानो, फिर मानो। किसी भी बात को क्या, क्यों, कैसे जैसे प्रश्नों के माध्यम से तर्क के आधार पर समझना वैज्ञानिक दृष्टिकोण कहलाता है।” प्रांतीय उपाध्यक्ष प्रमोद तिवारी ने बच्चों को पेड़, जल, प्रकाश और गुरुत्वाकर्षण से जुड़े कई सरल लेकिन रोचक प्रयोग कराए।

पीपल का वैज्ञानिक दृष्टिकोण

राजकीय इंटर कॉलेज चौरा हवालबाग के शिक्षक दिनेश पांडे ने पीपल के पेड़ से जुड़ी धार्मिक आस्था के पीछे छिपे वैज्ञानिक कारण समझाए। “पीपल का पेड़ सबसे अधिक ऑक्सीजन प्रदान करता है। इसलिए हमारे पूर्वजों ने इसे काटने को पाप माना। इसी तरह हरेला पर्व भी हमें पर्यावरण के प्रति सजग बनाता है।”

गुड टच और बैड टच के बीच फर्क

जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव सुश्री सचिव शर्मा ने बच्चों को बाल अधिकार, गुड टच और बैड टच के बीच फर्क की विस्तृत जानकारी दी। डॉ. विजया ढौढियाल ने बालिका शिक्षा को जरूरी बताते हुए लड़कियों से आगे आने का आह्वान किया।

पत्र लेखन और रिपोर्टिंग का अभ्यास

बालप्रहरी संपादक उदय किरौला ने बच्चों को पत्र लेखन और रिपोर्ट लेखन की बारीकियां सिखाईं। उन्होंने रिपोर्ट लेखन की 5W फ़ॉर्मेट (What, Where, When, Who, Why) को सरल भाषा में समझाया। “पत्र लेखन एक लुप्त होती विधा है, इसे पुनर्जीवित करने की आवश्यकता है।” बच्चों ने अपने परिवार के सदस्यों को पत्र लिखकर इस कार्यशाला की 5 दिवसीय रिपोर्ट प्रस्तुत की और हस्तलिखित पुस्तकों के लिए रंगीन मुखपृष्ठ भी स्वयं तैयार किया।

कवि सम्मेलन, नुक्कड़ नाटक और समूह गीत

नीरज पंत, प्रमोद तिवारी, उदय किरौला, अशोक पंत, डॉ चंद्रकला वर्मा आदि ने अलग-अलग समूहों में बाल कवि सम्मेलन, नुक्कड़ नाटक और समूह गीत के अभ्यास में मार्गदर्शन किया। सेवानिवृत्त बाल विकास अधिकारी भगवती गुसाई ने बच्चों के साथ खेलों के जरिए संवाद को प्रोत्साहित करते हुए कहा, “हमें कक्षा में चुप नहीं बैठना है, बल्कि गुरुजी से सवाल पूछना और तर्क करना सीखना चाहिए।”

समापन समारोह 27 जून को

समापन समारोह 27 जून को आयोजित किया जाएगा। बच्चों द्वारा तैयार हस्तलिखित पुस्तकों की प्रदर्शनी लगाई जाएगी। नुक्कड़ नाटक ‘जंगल बचाओ’ और समूह गीत की प्रस्तुति के साथ कार्यशाला का समापन होगा।

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