नैनीताल : आदि कैलाश और ओम पर्वत की आध्यात्मिक यात्रा का शुभारंभ हो गया है। हर-हर महादेव के जयकारों के साथ यात्रियों का पहला जत्था भीमताल के टूरिस्ट रेस्ट हाउस (टीआरसी) से पिथौरागढ़ के लिए रवाना हुआ। इस पहले दल में उत्तराखंड, तमिलनाडु और महाराष्ट्र सहित विभिन्न राज्यों से आए 20 श्रद्धालु शामिल हैं, जो भगवान शिव और माता पार्वती के दर्शन के लिए उत्साहित हैं।
यात्रा का शेड्यूल और रूट
कुमाऊं मंडल विकास निगम (KMVN) द्वारा संचालित इस यात्रा का पहला जत्था काठगोदाम और भीमताल से शुरू होकर पिथौरागढ़, धारचूला और अन्य पड़ावों से होते हुए आदि कैलाश और ओम पर्वत तक पहुंचेगा। यात्रा के दौरान श्रद्धालु जागेश्वर धाम और पाताल भुवनेश्वर जैसे अन्य पवित्र स्थलों के दर्शन भी करेंगे।
मुख्य पड़ाव:
- काठगोदाम/हल्द्वानी: यात्रा का प्रारंभिक बिंदु
- भीमताल: पहला ठहराव
- जागेश्वर: प्राचीन शिव मंदिर दर्शन
- पिथौरागढ़: मुख्य पड़ाव
- धारचूला: आदि कैलाश के लिए आधार शिविर
- आदि कैलाश और ओम पर्वत: अंतिम गंतव्य
आठवें दिन श्रद्धालु नई दिल्ली या अपने गंतव्य के लिए रवाना होंगे।
आदि कैलाश : कठिन लेकिन रोमांचक यात्रा
आदि कैलाश, जिसे ‘छोटा कैलाश’ भी कहा जाता है, भगवान शिव का एक प्रमुख स्थल है। यह पवित्र स्थान हिमालय की गोद में स्थित है और धार्मिक मान्यता के अनुसार, यही वह स्थल है जहां भगवान शिव अपने परिवार के साथ वास करते हैं। हर वर्ष सैकड़ों श्रद्धालु इस कठिन लेकिन आध्यात्मिक यात्रा पर निकलते हैं। आदि कैलाश यात्रा का मार्ग भौगोलिक रूप से चुनौतीपूर्ण है, लेकिन इसे सरकार और BRO द्वारा विकसित किया गया है, जिससे अब यह पहले की तुलना में अधिक सुगम हो गया है। यात्रा में न केवल धार्मिक भावना जुड़ी है, बल्कि यह प्राकृतिक सौंदर्य और रोमांच का भी संगम है।
श्रद्धालुओं की उत्साहपूर्ण भागीदारी
इस वर्ष आदि कैलाश और ओम पर्वत यात्रा के लिए अब तक 102 श्रद्धालुओं ने पंजीकरण कराया है, जो इस यात्रा की बढ़ती लोकप्रियता को दर्शाता है। कुमाऊं मंडल विकास निगम ने यात्रियों के लिए रहने, खाने और आवागमन की उचित व्यवस्था की है। नोएडा की संस्था डिवाइन मंत्रा प्राइवेट लिमिटेड (ट्रिप टू टेम्पल्स) के सहयोग से इस यात्रा को और अधिक सुगम और व्यापक बनाया जा रहा है। सोशल मीडिया पर भी इस यात्रा को लेकर उत्साह देखा जा रहा है। कई लोगों ने इसे एक आध्यात्मिक और साहसिक अनुभव बताया है। एक उपयोगकर्ता ने लिखा, “आदि कैलाश यात्रा भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का अद्भुत अवसर है।”
आदि कैलाश यात्रा 2025 : प्रशासन की तैयारियां
उत्तराखंड प्रशासन और KMVN ने यात्रा को सुचारू बनाने के लिए व्यापक तैयारियां की हैं। कुमाऊं मंडल विकास निगम के महाप्रबंधक विजय नाथ शुक्ल ने बताया कि यात्रा के लिए सभी आवश्यक सुविधाएं सुनिश्चित की गई हैं। सुरक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं और मार्गदर्शन के लिए विशेष टीमें तैनात की गई हैं। इस वर्ष यात्रा मार्ग पर प्राकृतिक सौंदर्य वाले स्थानों पर फोटो पॉइंट, सोशल मीडिया कवरेज और डिजिटल ट्रैकिंग सिस्टम भी शुरू किए गए हैं, ताकि श्रद्धालु यात्रा के अनुभव को सुरक्षित और साझा कर सकें।
आदि कैलाश यात्रा का महत्व
आदि कैलाश यात्रा न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह उत्तराखंड के पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा देती है। यह यात्रा स्थानीय समुदायों के लिए रोजगार के अवसर पैदा करती है और क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत को विश्व पटल पर ले जाती है। KMVN के अनुसार, इस वर्ष मई और जून में यात्रा के कई चरण आयोजित किए जाएंगे, और देश भर से 500 से अधिक श्रद्धालुओं ने पहले ही बुकिंग करा ली है।
आदि कैलाश यात्रा 2025 : श्रद्धालुओं के लिए सलाह
यात्रा में शामिल होने वाले श्रद्धालुओं को सलाह दी जाती है कि वे ऊंचाई वाले क्षेत्रों के लिए शारीरिक रूप से तैयार रहें। गर्म कपड़े, आवश्यक दवाइयां और KMVN द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन करना अनिवार्य है। पंजीकरण और अधिक जानकारी के लिए KMVN की आधिकारिक वेबसाइट या ट्रिप टू टेम्पल्स की वेबसाइट पर संपर्क किया जा सकता है। प्रशासन ने यात्रियों से प्लास्टिक उपयोग न करने, कूड़ा कचरा उचित स्थान पर डालने और प्राकृतिक स्थलों की मर्यादा बनाए रखने की भी अपील की है। यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि पर्यावरणीय संतुलन भी यात्रा के साथ-साथ सुरक्षित रहे।


शंकर दत्त पांडेय वरिष्ठ पत्रकार हैं और पिछले चार दशक से मीडिया की दुनिया में सक्रिय हैं। Uncut Times के साथ वरिष्ठ सहयोगी के रूप से जुड़े हैं। उत्तराखंड की पत्रकारिता में जीवन का बड़ा हिस्सा बिताया है। कुमाऊं के इतिहास की अच्छी जानकारी रखते हैं। दर्जनों पत्र-पत्रिकाओं में समसामयिक और शोधपरक लेख प्रकाशित। लिखने-पढ़ने और घूमने में रुचि। इनसे SDPandey@uncuttimes.com पर संपर्क कर सकते हैं।
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