देहरादून : उत्तराखंड में फर्जी दस्तावेज बनवाकर सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने वालों पर अब शिकंजा कसने लगा है। राज्य के विभिन्न जिलों में चलाए जा रहे सत्यापन अभियान के तहत अब तक करीब 9600 से अधिक अपात्र राशन कार्ड निरस्त किए जा चुके हैं। यह कार्रवाई उन लोगों के विरुद्ध की गई है जिन्होंने गलत तरीके से राशन कार्ड, आधार कार्ड, वोटर आईडी, आयुष्मान कार्ड जैसे सरकारी दस्तावेज बनवाए थे। इसी के साथ ऐसे फर्जी दस्तावेज तैयार करवाने में संलिप्त व्यक्तियों की पहचान कर उनके खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की जा रही है।
किन जिलों में हुई कितनी कार्रवाई?
अब तक तीन जिलों पौड़ी, बागेश्वर और देहरादून से सत्यापन के बाद निरस्त किए गए अपात्र राशन कार्डों का आधिकारिक विवरण सामने आया है। ये आंकड़े दर्शाते हैं कि राज्य में किस स्तर पर फर्जीवाड़ा करके सरकारी सुविधाओं का लाभ लिया जा रहा था, और अब प्रशासन इसे जड़ से खत्म करने की दिशा में सक्रिय है।
- जनपद पौड़ी: 961 अपात्र राशन कार्ड निरस्त
- जनपद बागेश्वर: 5307 अपात्र राशन कार्ड निरस्त
- जनपद देहरादून: 3332 अपात्र राशन कार्ड निरस्त
कैसे हो रही है जांच और सत्यापन?
सभी जिलों में जिलाधिकारियों के नेतृत्व में टीमों द्वारा घर-घर जाकर दस्तावेजों की जांच की जा रही है। सत्यापन में जिन दस्तावेजों या कार्डों में गलत जानकारी, फर्जी पहचान या अपात्रता पाई जा रही है, उन्हें तुरंत प्रभाव से निरस्त किया जा रहा है। साथ ही, जिन कर्मचारियों या एजेंटों की मिलीभगत से ये फर्जी कार्ड बने हैं, उनके खिलाफ विभागीय और कानूनी कार्रवाई की प्रक्रिया भी शुरू की गई है।
क्यों जरूरी है यह कार्रवाई?
फर्जी दस्तावेज बनवाकर योजनाओं का लाभ लेने वालों की वजह से वास्तव में पात्र जरूरतमंद लोग सरकारी सहायता से वंचित रह जाते हैं। इस सख्त कार्रवाई का उद्देश्य है कि सभी योजनाओं का लाभ केवल उन्हीं तक पहुंचे, जो वास्तव में उसके हकदार हैं। इससे न केवल सरकारी योजनाओं में पारदर्शिता आएगी, बल्कि वित्तीय अनुशासन और सामाजिक न्याय को भी मजबूती मिलेगी।
आगे की रणनीति
प्रदेश के अन्य जिलों में भी यह सत्यापन अभियान तेजी से जारी है और आने वाले दिनों में निरस्त किए गए अपात्र कार्डों की संख्या में और वृद्धि हो सकती है। सरकार द्वारा जनपद स्तर पर विशेष निगरानी समितियों का गठन भी किया गया है जो हर कार्ड के सत्यापन को सुनिश्चित कर रही हैं। उत्तराखंड सरकार की इस कार्रवाई से यह स्पष्ट हो गया है कि फर्जी दस्तावेजों के सहारे सरकारी योजनाओं का दुरुपयोग करने वालों के लिए कोई जगह नहीं है। यह पहल ईमानदार नागरिकों के हितों की रक्षा और सार्वजनिक संसाधनों के उचित वितरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।


शंकर दत्त पांडेय वरिष्ठ पत्रकार हैं और पिछले चार दशक से मीडिया की दुनिया में सक्रिय हैं। Uncut Times के साथ वरिष्ठ सहयोगी के रूप से जुड़े हैं। उत्तराखंड की पत्रकारिता में जीवन का बड़ा हिस्सा बिताया है। कुमाऊं के इतिहास की अच्छी जानकारी रखते हैं। दर्जनों पत्र-पत्रिकाओं में समसामयिक और शोधपरक लेख प्रकाशित। लिखने-पढ़ने और घूमने में रुचि। इनसे SDPandey@uncuttimes.com पर संपर्क कर सकते हैं।
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